कुमार इंदर, राकेश चतुर्वेदी जबलपुर/भोपाल। मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में दोपहर बाद मध्यप्रदेश में आरक्षण को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई का नंबर आया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मामला हाईकोर्ट ले जाने के लिए कहा है। इस मामले में कल गुरुवार को जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई होगी।

बता दें कि मध्यप्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए शासन द्वारा अधिसूचना जारी हो चुकी है। चुनाव प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। बीते तीन दिनों से 13 दिसंबर से जिला पंचायत सदस्य, जनपद पंचायत सदस्य सहित पंच सरपंच चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है। हालांकि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के कारण लोग चुनाव में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। गिनती के नामांकन फार्म जमा हुए हैं। फार्म बिक्री की रफ्तार न के बराबर है।

दरअसल मध्यप्रदेश सरकार ने जिस तरह से आदेश जारी किया है, कि वह साल 2014 के अध्यादेश के हिसाब से ही पंचायत चुनाव कराएगी। जिसके बाद से ही सारी चुनावी प्रक्रिया कोर्ट के फेर में फंस गई है। लिहाजा त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का मुकाबला फीका पड़ गया है। लोगों को ये डर सता रहा है कि, अगर कोर्ट से पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पर स्टे लग गया तो उनकी सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा। यही वजह है कि लोग पंचायत चुनाव में बढ़चढ़ कर भाग नहीं ले रहे हैं।

हाइकोर्ट की इंदौर और ग्वालियर पीठ दे चुका स्टे
हाइकोर्ट की इंदौर पीठ ने भी नगर निकाय चुनाव आरक्षण को लेकर जारी नोटिफिकेशन को लेकर दायर याचिका पर स्टे दे चुका है। इसके पहले हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने भी 2 नगर निगम सहित 81 निकायों के महापौर-अध्यक्ष पद के आरक्षण पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि, बार-बार एक ही वर्ग के लिए आरक्षण करना अन्य वर्ग को चुनाव से बेदखल करना है। कोर्ट ने साफ कहा था कि, आरक्षण में रोटेशन प्रक्रिया को अपनाना जरूरी है।

कोर्ट कह चुका आरक्षण जरूरी
याचिका में कहा था कि, नगर निकाय चुनाव में जिन सीटों के लिए आरक्षण किया गया है, उनमें रोटेशन बिल्कुल भी नहीं किया गया है। लंबे समय से वही आरक्षण चला आ रहा है। 7 साल पहले जो सीट एससी या एसटी के लिए आरक्षित की गई थी। वह अब तक उसी वर्ग के लिए आरक्षित है, जबकि संविधान के अनुसार रोटेशन प्रक्रिया को अपनाया जाना चाहिए। ऐसा करने से हर वर्ग को मौका मिल सकेगा। ग्वालियर कोर्ट के आदेश के अनुसार ही इंदौर कोर्ट ने भी आरक्षण को लेकर स्टे दिया है। कोर्ट ने रोटेशन प्रक्रिया लागू करने को कहा है।

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी एसएलपी
आपको बता दें कि, निकाय चुनाव पर हाईकोर्ट के आदेश के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने आनन फानन में सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटिशन दाखिल की है। दो साल से टल रहे पंचायत और निकाय चुनाव को लेकर हाइकोर्ट में लगी थी याचिका। कांग्रेस नेत्री जया ठाकुर के अधिवक्ता वरुण सिंह ने पंचायत चुनाव और नगर निकाय चुनाव कराने को लेकर एमपी हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी। इसी याचिका पर कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। सरकार की ओर से जब जवाब नहीं मिला तो कोर्ट ने सख्ती बरती। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि, राज्य निर्वाचन आयोग इलेक्शन करवाने के लिए तैयार है। फिर भी राज्य सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया। जिसके बाद कोर्ट ने सख्ती करते हुए सरकार से चुनाव का शेड्यूल पेश करने को कहा था, लेकिन कोर्ट के निर्देश के बाद भी जब सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया तो याचिकाकर्ता ने यही याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगा दी।