राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। देश के दक्षिण प्रदेशों में राष्ट्र भाषा हिंदी के विरोध को देखते हुए मध्यप्रदेश में अब अन्य भाषाओं में पढ़ाई कराई जाएगी। इसे प्रयोग के तौर पर लागू किया जा रहा। शिक्षा विभाग ने यह बड़ा फैसला लिया है। इस संबंध में शिक्षा मंत्री ने टि्वटर पर जानकारी दी है।
तेलगु क्यों नही सीखनी चाहिए, मराठी क्यों नही सीखनी चाहिए, पंजाबी क्यों नही सीखनी चाहिए? भिन्न भिन्न राज्यों की भाषाएं मप्र का विद्यार्थी क्यों नही सीख सकता? क्या भाषा जोड़ने का आधार नही बन सकती ? प्रदेश भर में हमने 52 जिलों में 53 स्कूलों का चयन किया है। pic.twitter.com/jAlexCqOSI
— इन्दरसिंह परमार (@Indersinghsjp) February 20, 2022
स्कूल शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार ने ट्वीट कर कहा है कि तेलगु क्यों नहीं सीखनी चाहिए, मराठी क्यों नहीं सीखनी चाहिए, पंजाबी क्यों नहीं सीखनी चाहिए? भिन्न भिन्न राज्यों की भाषाएं मप्र का विद्यार्थी क्यों नहीं सीख सकता? उन्होंने सवाल उठाया है कि भाषा जोड़ने का आधार क्यों नहीं बन सकती? प्रदेश भर में हमने 52 जिलों में 53 स्कूलों का चयन किया है। ताकि मप्र का विद्यार्थी बाहर राज्यों में जाकर उन्हीं की भाषा में उनसे संवाद कर सके।
जैसे मप्र का विद्यार्थी अगर तमिल जानता है तो तमिलनाडु में जाकर उनकी भाषा में उनसे बात करेगा, तो वहां के लोगों को लगेगा कि हिंदी भाषी लोग हमारी मातृभाषा का सम्मान करते हैं। तो स्वाभाविक रूप से हिंदी के प्रति उनका सम्मान बढ़ेगा और हिंदी के प्रति उनका विरोध स्वाभाविक रूप से समाप्त हो जायेगा। इसलिए हिंदी भाषी राज्यों को यह जिम्मेदारी बनती है। मप्र देश का हृदय स्थल है और मप्र देशभर में पहला राज्य होगा, जहां अन्य राज्यों की भाषाओं को सिखाने का यह प्रयोग होगा।
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