रायपुर: छत्तीसगढ़ में कृषि भूमि को लेकर कलेक्टर गाइडलाइन में 30 फीसदी की छूट खत्म करने के बाद अब एक और बड़ा बदलाव किया गया है. केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड की बैठक में 2019-20 के कलेक्टर गाइडलाइन में किए गए संशोधनों को फिर से संशोधित करने का निर्णय लिया गया है. अब से 50 डिसमिल से कम कृषि जमीन की गणना वर्गमीटर के बजाय हेक्टेयर से की जाएगी. नई गाइडलाइन के जारी होते ही कृषि भूमि की गणना इसी पद्धति से की जाएगी. इस बदलाव से स्टांप ड्यूटी के तौर पर अब अधिक फीस देना होगा, जिससे रजिस्ट्री का खर्च बढ़ेगा.
दरअसल छोटे-छोटे कृषि भूमि की गणना पहले हेक्टेयर में की जाती थी, जिससे सरकार को स्टांप ड्यूटी के तौर पर कम फीस मिलती थी. वहीं इसका फायदा जमीन दलाल या एजेंट किस्म के लोग उठाते थे. इसलिए अब इस नियम को ही विलोपित कर दिया गया है.
गाइडलाइन में क्या हुआ बदलाव
अभी तक ऐसा होता है कि 50 डिसमिल से कम जमीन के स्टांप ड्यूटी की गणना हेक्टेयर से तो की जाती है, लेकिन साथ-साथ इसी जमीन से लगी, अन्य जमीन की गणना भी हेक्टेयर से ही कर दी जाती है. ऐसा स्टांप ड्यूट ड्यूटी फीस कम करने के लिए किया जाता है. नई पद्धति लागू होने के बाद ऐसा नहीं होगा. हेक्टेयर से गणना के लिए जमीन का एक ही कृषि भूमि या ऋण पुस्तिका में दर्ज होना जरूरी होगा. यानी अलग-अलग कृषि जमीन की हेक्टेयर से गणना नहीं होगी.
क्रेडाई की मांग: पंजीयन शुल्क में कटौती की आवश्यकता
छत्तीसगढ़ क्रेडाई के अध्यक्ष संजय रहेजा और आनंद सिंघानिया समेत अन्य सदस्य इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि पंजीयन शुल्क में वृद्धि के बाद राज्य सरकार को इस शुल्क को कम करने के लिए कदम उठाने चाहिए. उन्होंने यह भी मांग की है कि कलेक्टर गाइडलाइन में किसी भी तरह की वृद्धि नहीं की जानी चाहिए, ताकि रियल एस्टेट कारोबार को बढ़ावा मिले और आम जनता को राहत मिल सके.
बता दें, वर्तमान में कलेक्टर गाइडलाइन में पंजीयन शुल्क को 2 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी कर दिया गया है. क्रेडाई का मानना है कि यह बढ़ोतरी रियल एस्टेट कारोबार को प्रभावित कर सकती है, इसलिए इसे जल्द से जल्द कम किया जाना चाहिए.
नई गाइडलाइन के प्रमुख बदलाव
• नगर निगम सीमा में किसी भी एक व्यक्ति या एक ही ऋण पुस्तिका में एक से अधिक खसरा नंबर की कृषि जमीन पर बिक्री करने पर कुल रकबा 0.202 हेक्टेयर से अधिक हो (यानी 50 डिसमिल से कम होगी) तो सभी जमीन का मूल्यांकन हेक्टेयर दर से ही किया जाएगा.
• कलेक्टर गाइडलाइन 2019-20 में ग्रामीण इलाकों में 500 वर्गमीटर की कृषि जमीन बेंचने पर बाजार मूल्य प्रति वर्गमीटर से तय किया जाता था. अब इसे भी एक समान कृषि जमीन मानते हुए इसकी गणना वर्गमीटर के बजाय हेक्टेयर दर से की जाएगी.
• यह भी संशोधन किया गया है कि जमीन के आसपास कृषि हो रही है और आगे की जमीन भी कृषि करने के उद्देश्य से ही खरीदी हो रही है तो इस जमीन को कृषि जमीन ही माना जाएगा. इसका बाजार मूल्य वर्गमीटर के बजाय हेक्टेयर दर से तय होगा.
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