रायपुर। पढ़ाई पूरी करने के बाद भी पोस्ट मैट्रिक छात्रावासों में जमे लोगों के लिए यह किसी झटके से कम नहीं है. आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग ने छात्रावास आश्रम संचालन नियम 2010-11 में बड़ा बदलाव किया है, जिसमें पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्र छात्रावास में नहीं रह पाएंगे.
आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त ने बताया कि इसके तहत अब पोस्ट मैट्रिक छात्रावासों में स्नातकोत्तर कक्षाओं तक अधिकतम 5 वर्षों के लिए ही छात्र-छात्राओं को प्रवेश की पात्रता होगी. 5 वर्ष पूर्ण होने के बाद छात्रावास में प्रवेश नहीं दिया जाएगा. यदि कोई छात्र किसी भी कक्षा में अनुत्तीर्ण होता है तो भी उसे नवीनीकरण के अन्तर्गत प्रवेश की पात्रता नहीं होगी.
कक्षा पहली से लेकर स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई अधिकतम 23 वर्ष तक पूर्ण होती है. किन्तु ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चें देर से स्कूल में प्रवेश लेते हैं. इसे दृष्टिगत रखते हुए अधिकतम 25 वर्ष की उम्र तक के छात्र-छात्राओं को छात्रावास में प्रवेश की पात्रता होगी.
आदेश में यह भी बताया गया है कि कुछ जिलों में अध्ययन पूर्ण होने बाद भी छात्र-छात्राओं द्वारा छात्रावास नहीं छोड़ने की शिकायतें प्राप्त होती है, जिससे छात्रावास में स्थानाभाव के साथ-साथ कई प्रकार की अव्यवस्थाएँ निर्मित होती है.
नवीन प्रवेश नीति के प्रावधान के अनुसार जिनका अध्ययन पूर्ण हो चुका हो, उन्हें सख्ती के साथ छात्रावास से पृथक किया जाएगा तथा जरूरत पड़ने पर वैधानिक कानूनी कार्यवाही भी की जाएगी. ऐसी स्थिति निर्मित होने पर संबंधित छात्रावास के अधीक्षक एवं जिले के सहायक आयुक्त जिम्मेदार होंगे. वे जिला कलेक्टर के निर्देश पर कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे.