रायपुर। छत्तीसगढ़ के एक मात्र पत्रकारिता विश्वविद्यालय का नाम बदलने की लंबे समय से की जा रही मांग पर आखिरकार राज्य सरकार ने फैसला ले लिया है. कोरोना के संक्रमण के मद्देनजर मंगलवार को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से केबिनेट की बैठक हुई, जिसमें सरकार ने पत्रकारिता विश्वविद्यालय का नाम कुशाभाऊ पत्रकारिता विश्वविद्यालय से बदलकर सूबे के वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व सांसद रहे स्वर्गीय चंदूलाल चंद्राकर के नाम पर करने का अहम फैसला लिया. इसी तरह छत्तीसगढ़ कामधेनु विश्वविद्यालय का नाम अब दाऊ चन्दूलाल चंद्राकर विश्वविद्यालय होगा। कैबिनेट के मंज़ूर इन दोनों प्रस्तावो को विधानसभा में पेश किया जाएगा.

पिछले साल पत्रकारों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सीएम भूपेश बघेल से विधानसभा में मुलाकात कर कुशाभाऊ पत्रकारिता विश्वविद्यालय का नाम बदलकर चंदूलाल चंद्राकर के नाम पर करने की मांग की थी. इसके पहले जब सूबे में पत्रकारिता विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी उस दौरान भी विश्वविद्यालय का नाम प्रदेश के दो सबसे बड़े पत्रकार चंदूलाल चंद्राकर और माधवराव सप्रे में से किसी एक के नाम पर करने की मांग की गई थी. उसके बाद से लगातार यह मांग उठते रही थी

जिन दो हस्तियों के नाम पर ये विश्वविद्यालय के नाम रखे गये हैं. उन्हें छत्तीसगढ़ की महान विभूतियों में शामिल किया जाता है. वासुदेव चंद्राकर काँग्रेस के नेता थे पर किसानो के हित पर वे पार्टी के खिलाफ बोलने से भी गुरेज नहीं करते थे. इसी तरह चन्दूलाल चंद्रकार ने अपनी पत्रकारिता का सिक्का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जगमगाया था.

चंदूलाल चंद्राकर देश के कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में कार्य किये थे. वे हिंदुस्तान टाइम्स के संपादक थे. उन्होंने साल 1964 से 1980 तक इसके प्रमुख संपादक के रूप में कार्य किया. छत्तीसगढ़ से राष्ट्रीय समाचार पत्र के संपादक पद पर पहुँचने वाले वे पहले व्यक्ति थे. उन्होंने 10 ओलम्पिक तथा 9 एशियायी खेलों की भी रिपोर्टिंग की थी.

गौरतलब है कि दोनों विश्वविद्यालयों का निर्माण भाजपा शासनकाल में हुआ था. कुशाभाऊ ठाकरे विश्वविद्यालय के नाम को लेकर उसके निर्माण से ही यहां विरोध था. विरोध करने वालों की दलील थी कि कुशाभाऊ ठाकरे का न पत्रकारिता से कोई लेना है ना ही छत्तीसगढ़ से.