पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए एक बड़ी राहत देने वाला आदेश जारी किया है, जिसके अनुसार अब पंजाब के सभी निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित रखे जाएंगे। इससे निजी स्कूलों में वो बच्चे भी आसानी से शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे जो आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण एडमिशन नहीं ले पाते थे।
मुख्य न्यायाधीश शील नागु और न्यायाधीश हरमीत सिंह ग्रेवाल की खंडपीठ ने इस मामले में अंतरिम आदेश पारित करते हुए कहा कि जो भी स्कूल आरटीई अधिनियम की धारा के तहत आते हैं, वे अपनी कक्षा 1 की कुल सीटों में से 25 प्रतिशत आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित करें।

जनहित याचिका में लिया गया महत्वपूर्ण निर्णय
आपको बता दें कि केएस राजू लीगल ट्रस्ट द्वारा जनहित याचिका लगाई गई थी जिस पर सुनवाई के दौरान यह आदेश आया है, जिसमें पंजाब सरकार के ‘पंजाब आरटीई नियम, 2011’ में बनाए गए नियम 7(4) को चुनौती दी गई थी।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि इस नियम के कारण कमजोर वर्ग के बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश नहीं मिल पा रहा है, जो कि संविधान के अनुच्छेद 21-ए और आरटीई अधिनियम के खिलाफ है।
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