रायपुर- नान घोटाला मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी के हिस्से बड़ी कामयाबी मिली है, जो जांच की दिशा बदल सकती है. पता चला है कि एसआईटी को डायरी के 340 पन्ने बरामद हो गए हैं, जिसमें कई अहम जानकारियां हासिल हुई है.चौंकाने वाली बात यह है कि जिन पन्नों को पेन ड्राइव से डिलीट कर दिया गया था, उन पन्नों को दोबारा रिकवर कर लिया गया है. बताते हैं कि यही पन्ने जांच में अहम कड़ी साबित हो सकते हैं.
खबर है कि कई पन्ने ऐसे हैं, जिसमें सीएम सर के नाम पर करोड़ों रूपए का लेनदेन किए जाने का जिक्र किया गया है. गौरतलब है कि पिछले दिनों ईओडब्ल्यू ने विशेष कोर्ट में अर्जी देकर नान घोटाले के प्रमुख दस्तावेज मांगते हुए आवेदन लगाया था, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. आवेदन खारिज होने के बाद ईओडब्ल्यू ने घोटाले के एक अहम गवाह के के बारिक से जब्त हुए तीन पेन ड्राइव को हैदराबाद स्थित एफएसएल लैब भेजा था. इन पेन ड्राइव से वह सभी 340 पन्ने हासिल हो गए, जिनकी दरकार ईओडब्ल्यू को थी. लैब में पेन ड्राइव के परीक्षण के दौरान डिलीट किये गए पन्ने भी रिकवर हो गए थे. सूत्र बताते हैं कि इसमें एक फोल्डर ‘सीएम सर’ के नाम पर बनाया गया था. ‘सीएम सर’ के नाम पर होने वाले तमाम लेन-देन का ब्यौरा इस फोल्डर में ही रखा गया था. एक वक्त पर ही लाखों- करोड़ों रूपए के लेनदेन का ब्यौरा दिया गया है. सूत्र बताते हैं कि इन पन्नों को पूर्व में हुई जांच के दौरान जानबूझकर दबा दिया गया था. इसके अलावा मंत्रियों, अधिकारियों के अलावा दीगर लोगों के नाम पर भी लाखों रूपए के लेनदेन का हिसाब किताब सामने आया है.
ईओडब्ल्यू के आला अधिकारी ये कहते हैं कि पूर्व में जांच के दौरान जब पेन ड्राइव मिला था, तब उसकी जांच आखिर क्यों नहीं की गई? क्या जांच को प्रभावित करने की नीयत थी? बताते हैं कि उस वक्त यह भी हल्ला हुआ था कि पेन ड्राइव से कई अहम पन्ने जानबूछकर डिलीट कर दिए गए थे, ऐसे में क्या यह उस वक्त जांच में जुटे अधिकारियों की बड़ी चूक थी कि पेन ड्राइव को जस का तस कोर्ट में सबमिट कर दिया गया? अब इन तमाम पहलूओं की जांच की जा रही है.
तो क्या मुकेश गुप्ता के खिलाफ एक और एफआईआर होगी?
ईओडब्ल्यू के सूत्र बताते हैं कि डायरी के 340 पन्ने मिलने के बाद ऐसे तथ्य सामने आ रहे हैं कि पूर्व में जांच के दौरान जान बूझकर प्रभावशाली लोगों के नाम हटा दिए गए. यदि इसकी प्रमाणिकता साबित हुई, तो पूर्व में ईओडब्ल्यू के चीफ मुकेश गुप्ता समेत जांच से जुड़े कुछ और अधिकारियों के खिलाफ एक और एफआईआर दर्ज की जा सकती है. सूत्र बताते हैं कि ईओडब्ल्यू का अनुमान है कि इन पहलूओं की भनक लगने की वजह से ही निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह नोटिस देने के बावजूद आने से कतरा रहे हैं.