Bihar CAG Report: बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट ने राजनीतिक माहौल में गर्मी ला दी है। गुरुवार, 24 जुलाई 2025 को बिहार विधानसभा में पेश की गई इस रिपोर्ट में राज्य सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं। रिपोर्ट (Bihar CAG Report) में बताया गया है कि राज्य सरकार 31 मार्च, 2024 तक 70,877.61 करोड़ रुपये के उपयोगिता प्रमाणपत्र (UC) जमा नहीं कर पाई है। इसका मतलब यह है कि इन भारी-भरकम रकमों को कहां और किस उद्देश्य से खर्च किया गया, इसका कोई आधिकारिक हिसाब नहीं है।

आवंटित राशि के दुरुपयोग की आशंका

कैग रिपोर्ट (Bihar CAG Report) के मुताबिक, तय समय सीमा बीत जाने के बावजूद 49,649 उपयोगिता प्रमाणपत्र लंबित हैं, जिससे यह आशंका गहराती है कि कहीं आवंटित राशि का दुरुपयोग तो नहीं हुआ। इनमें से 14,452.38 करोड़ रुपये 2016-17 तक की अवधि से संबंधित हैं। सबसे अधिक बकाया प्रमाणपत्र जिन विभागों से संबंधित हैं, उनमें पंचायती राज (28,154.10 करोड़), शिक्षा (12,623.67 करोड़), शहरी विकास (11,065.50 करोड़), ग्रामीण विकास (7,800.48 करोड़) और कृषि विभाग (2,107.63 करोड़) शामिल हैं।

2023-24 में मिला था 3.26 लाख करोड़ का बजट

रिपोर्ट (Bihar CAG Report) में यह भी उजागर किया गया है कि 9,205.76 करोड़ रुपये के विस्तृत आकस्मिक (DC) बिल भी लंबित हैं, जिनमें 7,120.02 करोड़ रुपये पिछले वित्तीय वर्ष से ही पेंडिंग हैं। ये बिल इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इनके ज़रिए खर्च की गई राशि की सत्यता को जांचा जा सकता है।

वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान बिहार का कुल बजट 3.26 लाख करोड़ रुपये रहा, लेकिन सरकार केवल 2.60 लाख करोड़ रुपये (79.92%) ही खर्च कर सकी। शेष 65,512.05 करोड़ रुपये में से केवल 36.44% राशि ही वापस लाई जा सकी, जो बजटीय क्रियान्वयन की खामियों की ओर इशारा करता है।

राज्य सरकार पर बढ़ते कर्ज का भी जिक्र रिपोर्ट में किया गया है। बिहार का कुल कर्ज अब 3.98 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 12.34% अधिक है। कैग ने यह भी बताया कि राज्य 15वें वित्त आयोग द्वारा तय किए गए राजकोषीय लक्ष्यों को भी हासिल नहीं कर सका है।

रिपोर्ट को लेकर हमलावर हो सकता है विपक्ष

हालांकि, इन सबके बीच राज्य ने 2023-24 में 14.47% की आर्थिक वृद्धि दर दर्ज की है, जो राष्ट्रीय औसत 9.6% से काफी अधिक है। बिहार की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से सेवा क्षेत्र (57.06%) पर आधारित है, जबकि प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्र का योगदान क्रमशः 24.23% और 18.16% है। इसके बावजूद राज्य की बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है।

राजस्व मोर्चे पर राज्य ने बेहतर प्रदर्शन किया है। राज्य की कुल राजस्व प्राप्तियों में करीब 12% की वृद्धि हुई है, जिसमें केंद्रीय करों से हिस्सेदारी और गैर-कर राजस्व में क्रमशः 9.87% और 25.14% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

लेकिन, तमाम आर्थिक आंकड़ों के बावजूद उपयोगिता प्रमाणपत्रों की अनुपस्थिति और बजट क्रियान्वयन की कमजोरियों ने सरकार की जवाबदेही पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। चुनावी साल में यह रिपोर्ट (Bihar CAG Report) विपक्ष को सरकार पर हमले का बड़ा हथियार दे सकती है।

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