पुरुषोत्तम पात्रा, गरियाबंद. पीएचई विभाग की जांच में एक बड़ा खुलासा हुआ है. गरियाबंद जिले के स्कूलों में लगे हैंडपंप पानी के साथ बीमारी उगल रहे है. देवभोग विकासखंड में संचालित 217 प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में लगे 154 हैंडपंप में 74 हैंडपंपों का पानी पीने लायक नहीं है. इसकी जानकारी पहले से ही अधिकारियों को है, लेकिन प्रशासन द्वारा इसकी कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई है. यहां तक की 3800 से ज्यादा बच्चों के दांत पीले पड़ गए है. और कमजोर हो गए हैं.

74 हैंडपंप में लाल रंग का निशान

बता दें कि दो माह पहले से प्रशासन वहां के 217 स्कूलों के हैंडपंप के पानी की जांच कार्रवाई थी. पहले चरण नें 64 सैंपल में से 35 में आयरन फ्लोराइड की मात्रा अधिक पाई गई थी. जुलाई के पहले सप्ताह में 217 स्कूलों के उपयोग में आने वाले 154 पानी के स्त्रोतों की जांच की गई है. जिसमें 74 स्त्रोत का पानी पीने योग्य नहीं पाया गया है. पीएचई विभाग का एसडीओ बीआर टंडन ने बताया कि सभी 74 हैंडपंप में लाल रंग का निशान लगाकर पानी को पीने के उपयोग में नहीं लाने की सलाह दी गई है.

हैंडपंपों में फ्लोराइड और आयरन की मात्रा कई गुना ज्यादा

पीएचई विभाग की जांच में इसका खुलासा हुआ है. इन हैंडपंपों में फ्लोराइड और आयरन की मात्रा कई गुणा ज्यादा पाई गई है. विभाग ने इन हैंडपंपों का पानी पीने पर तत्काल रोक लगा दी है. इन हैंडपंपों से पानी पीने वाले बच्चों पर इसका असर साफ देखा जा सकता है. 3800 से ज्यादा बच्चों के दांत पीले पड़ गये है और कमजोर हो गए है. विभाग ने इन हैंडपंपों का पानी पीने पर तो रोक लगा दी, मगर वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर आसपास के हैंडपंपों का पानी उपयोग करने की बात कहकर अपने हाथ खड़े कर लिए है.

गांव में लगे दूसरे हैंडपंपों की नहीं हुई है जांच

वहीं आचानक हैंडपंपो के पानी से शरीर को नुकसान होने की बात सुनकर शिक्षकों के भी हाथ पांव फूल गये, स्कूलों में इस तरह की समस्या से निपटने का कोई फंड ना होने के कारण स्कूल के शिक्षकों ने बच्चों को अपने घरों से पानी लाने का निर्देश दिया है. जिन गांव के स्कूलों में लगे हैंडपंपों का पानी दूषित पाया गया है. हो सकता है उस गॉव में लगे दूसरे हैंडपंपो का पानी भी स्वच्छ ना हो, विभाग द्वारा अब तक इनकी कोई जॉच नहीं की गई है. हर साल शुद्ध पेयजल के नाम पर करोड़ो रुपये खर्च करने वाला पीएचई विभाग लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने में लगा है. ऐसा में बड़ा सवाल उठता है कि सरकार इस समस्या का समाधान कैसे और कितनी जल्दी निकालती है. ये देखने वाली बात होगी. यहां तक पीएचई विभाग के मुताबिक इसकी चपेट में कई गांव आ चुके है.

गौरतलब है कि जिले में पानी की समस्या  पहले ही खतरनाक स्थिति में है. इसी जिले के सुपेबेड़ा गांव में खराब पानी पीने के चलते लोग किडनी की बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं. और कई लोगों की इस गांव में इस बीमारी के चलते मौत भी हो चुकी है. ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में हैंडपंप से गंदा और नुकसानदायक पानी निकल रहा है और विभाग उश पर टालमटोल करता नजर आ रहा है ये बेहद अफसोसजनक है.

 

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