रायपुर. कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज को लेकर हाल ही में जारी किए गए तीन अध्ययन इस बात के सबूत देते हैं कि एंटीबाडी के स्तर को बढ़ाने में  यह सक्षम है. स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि ओमीक्रॉन के खिलाफ टीके की सुरक्षा को देखने वाला यह पहला बड़ा अध्ययन है.

जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका और यूके की ओर से जारी किए गए अध्ययन पेपर्स में पिछले रिसर्च को सही ठहराते हैं. अध्ययनों के मुताबिक, कोरोना वैक्सीन की दो डोज ओमीक्रॉन संक्रमण के खिलाफ कम प्रभावी है, लेकिन बूस्टर डोज एंटीबाडी के स्तर को बढ़ाने से काफी प्रभावी साबित होती है.

जानकारी के मुताबिक, तीन अध्ययनों में पहला अध्ययन अगस्त से इस महीने तक 10 राज्यों में अस्पताल में भर्ती और इमरजेंसी में भर्ती मरीजों के आधार पर किया गया है. इसमें ये पाया गया कि COVID-19 से जुड़े मरीजों को अस्पताल तक पहुंचने में फाइजर या मॉडर्न टीके की तीन खुराक रोक रही है. यानी कि जिन लोगों ने कोरोना की दो खुराक और बूस्टर डोज लिया है उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ रही.

दूसरा अध्ययन अप्रैल की शुरुआत से क्रिसमस तक 25 राज्यों में COVID-19 मामले और मृत्यु दर पर केंद्रित था. जिन लोगों को बूस्ट किया गया था उनके पास कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा थी.

ऐसा ही तीसरे अध्ययन में पाया गया. शोधकर्ताओं ने तीसरे अध्ययन में कहा कि जिन लोगों को वैक्सीन की दो डोज और बूस्टर डोज लगी हुई हैं और उन्हें पहले कोरोना का संक्रमण हुआ था उनमें एंटीबाडी का स्तर उन लोगों के मुकाबले बेहतर रहा जिन्होंने दो डोज तो लिए थे लेकिन बूस्टर डोज नहीं लिया.

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