राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। लल्लूराम की खबर का मध्य प्रदेश में एक बार फिर बड़ा असर हुआ है। राजधानी में मंत्रियों और विधायकों के लिए नए आवास के लिए 29 हजार पेड़ों को काटने पर रोक लगा दी गई है। नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने जानकारी देते हुए बताया कि नए आवास की योजना को टाल दिया गया है। लल्लूराम डॉट कॉम ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। लगातार पेड़ काटने का विरोध हो रहा था। महिलाओं ने चिपको आंदोलन चलाया था। जिसके बाद कई विधायक और मंत्री भी इसका विरोध कर चुके हैं। जिसके बाद पेड़ काटने पर रोक लगा दी गई है।  

नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इसे लेकर जानकारी दी और पोस्ट करते हुए लिखा, “नए भोपाल के पुनर्घनत्वीकरण योजना के पर्यावरण संरक्षण एवं क्षेत्र में विद्यमान वृक्षों को देखते हुए प्रस्तुत प्रस्ताव को संपूर्ण विचारोपरांत अस्वीकृत कर अन्य वैकल्पिक स्थानों के परीक्षण के निर्देश दिये गये है। नवीन प्रस्ताव हेतु प्रारंभिक स्तर पर भी नागरिकों एवं जनप्रतिनिधियों से विचार विमर्श भी किया जाएगा।”

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में 3 हजार करोड़ की लागत से माननीयों के बंगले बनने प्रस्तावित थे। लेकिन प्रोजेक्ट के शुरू होने से पहले ही इस पर रोक लगाने की मांग की गई थी। मंत्रियों और विधायकों के लिए भव्य और सर्वसुविधायुक्त नए सरकारी आवास बनने वाले थे। लेकिन इसके निर्माण के लिए करीब 29 हजार हरे-भरे पेड़ों की बलि दी जानी थी। जिसे लेकर पर्यावरण प्रेमी ने NGT (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) में याचिका लगाई थी। साथ ही लल्लूराम डॉट कॉम ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था जिसके बाद सरकार बैकफुट पर आ गई और अब आवास के लिए नई जगह देखना पड़ा। प्रशासन के इस निर्णय के बाद अब पर्यावरण प्रेमियों में ख़ुशी की लहर है। 

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