पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद. भाजपा में प्रत्याशियों की लिस्ट जारी होते ही बगावत के सुर उठने लगे हैं. वहीं अब भाजपा के बड़े ने बगावत करने वालों को मनाने में जुट गए हैं. इधर कांग्रेस में टिकट एलान के बाद टकराव बढ़ने की संभावना है. भाजपा के बड़े नेताओं ने बिंद्रानवागढ़ में बगावत रोकने नाराज नेताओं से बंद कमरे में चर्चा की और उन्हें मना लिया.

बता दें कि बिंद्रानवागढ़ में भाजपा से पूर्व विधायक गोवर्धन मांझी को प्रत्याशी बनाने के बाद विधायक डमरूधर पुजारी नाराज चल रहे थे. बाबा उदय नाथ, हलमंत धुरवा की नाराजगी भी जगजाहिर थी. नाराजगी के चलते दावेदार भागीरथी मांझी आप में शामिल हो गए. बात बिगड़ते देख डेमेज कंट्रोल की जिम्मेदारी भाजपा ने पार्टी कोषाध्यक्ष दिलीप जायसवाल और संभाग सह प्रभारी रजनीश पाणीग्राही को सौंपा था. शुक्रवार को दोनों बड़े नेता राजिम के पूर्व विधायक संतोष उपाध्याय और भाजपा जिला अध्यक्ष राजेश साहू, मंडल अध्यक्ष गुरु नारायण तिवारी के साथ दिनभर बिंद्रानवागढ़ में रहे.

भाजपा नेताओं ने पहले बाबा से मिलने कदली मुड़ा पहुंचे. फिर डमरूधर पुजारी के निवास मुनगापदर पहुंचे, जहां हलमंत ध्रुवा को भी बुलाया गया था. प्रदेश के नेताओं ने पुजारी व धुरवा से बंद कमरे में घंटेभर तक चर्चा की. इस दरम्यान भाजपा प्रत्याशी गोवर्धन मांझी भी मौजूद रहे. इस सार्थक मुलाकात के बाद आला नेताओं ने नाराजगी दूर करने के साथ-साथ सीट जीतने का दावा भी कर दिया. भाजपा के इस डैमज कंट्रोल के बाद स्थानीय कार्यकर्ताओं ने भी राहत की सांस ली है.

चाय की टेबल पर बोले – विधानसभा को इस बार मिलेगा कैबिनेट मंत्री

राहत भरी सांस लेने के बाद नेताओं के बीच चर्चा का दौर जारी रहा. चाय की चुस्की के साथ नेताओं ने कहा कि पिछली सरकार ने गोवर्धन मांझी को संसदीय सचिव का दर्जा दिया था. इस बार चुनाव के बाद सरकार बनते ही कैबिनेट मंत्री बनाने का दावा किया.

कांग्रेस में घमासान के आसार

बैठकों के दौर के बाद कांग्रेस ने भी अपने प्रत्याशियों का नाम तय कर लिया है. मीडिया रिपोर्ट में जहां पूर्व प्रत्याशी संजय नेताम को प्रत्याशी का दावा किया गया है. वहीं प्रदेश कार्यालय में 2013 में प्रत्याशी बनाए गए जनक के नाम का जोर है. कहा जा रहा है कि टिकट के ऐलान के बाद कांग्रेस में भी फूट फड़ सकती है, क्योंकि पिछले तीन साल से बिंद्रानवागढ़ में इन दों नेताओं के बीच गुटबाजी देखी जा रही है. ऐसे में नाम पर मुहर लगने के बाद भाजपा भी असंतुष्ट नेताओं पर निगाहे गड़ाना शुरू कर देगी. हालांकि सत्ता सीन संगठन में खुलकर बगावती तेवर दिखाने का साहस नेता नहीं जुटा पाते.