कृषि में नई तकनीकों के आने से किसानों का काम आसान हो गया है. इन तकनीकों की मदद से किसान अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं. ऐसी ही एक तकनीक से Jodhpur के मथानिया के 8वीं पास किसान मदनलाल लाल (farmer Madanlal Lal) लाल मूली की खेती कर रहे हैं, जिससे अच्छी कमाई भी हो रही है.

ऐसे आया लाल मूली की खेती का आइडिया

सफेद मूली की खेती ज्यादातर लोगों ने देखी होगी. ऐसे में लाल मूली की खेती भी कई लोगों को हैरान कर सकती है. इस बारे में मदनलाल बताते हैं कि उन्हें कृषि विज्ञान से जुड़ी जानकारियों से जुड़े रहना पसंद है. वह हमेशा कृषि विश्वविद्यालय की गतिविधियों में शामिल रहता है. कृषि वैज्ञानिकों से भी मिले. इसके अलावा केंद्रीय कृषि अनुसंधान परिषद के केंद्रों के संपर्क में रहें. वहीं से उन्हें लाल मूली की खेती करने का आइडिया आया. Read More – Cheese के बहुत ज्यादा सेवन से बचें, नहीं तो हो जाएंगे इस बीमारियों का शिकार …

ग्राफ्टेड प्लांट

लाल मूली की खेती के लिए उन्होंने ढेर सारी किताबें पढ़ीं और कृषि अनुसंधानकर्ताओं से मिले. इसके बाद दो कलमों को मिलाकर एक पौधा बनाया गया. जीर्ण विधि से इसका बीज तैयार किया. लगातार सर्दी के दिनों में चार साल तक बोया. इसमें हर साल सुधार हुआ. इस बार उनके खेत के एक हिस्से में लाल मूली की अच्छी पैदावार हुई.

एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर

मदनलाल का कहना है कि वह अभी इस पर और काम करेंगे. इसके स्वाद में कोई कमी नहीं है. इस मूली में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. इसके बीज भी तैयार किए जा रहे हैं, ताकि इसका उत्पादन बढ़ाया जा सके. जहां बाजार में सामान्य मूली 10 से 20 रुपए किलो मिल रही है. जबकि लाल मूली 100 रुपए प्रति किलो बिक रही है. मदनलाल का कहना है कि अभी वह बाजार में सप्लाई नहीं कर पा रहे हैं. कुछ बड़े होटल और रेस्टोरेंट उनसे ये मूली ले रहे हैं. इसके अलावा विवाह समारोह में उपलब्ध कराना. Read More – कैमरे के सामने फूट पड़ी राखी सावंत, कहा- मेरी कब्र में भी आओगे क्या …

किसान मदनलाल को भी सम्मानित किया गया है

उनका कहना है कि अगले साल रकबा बढ़ाकर इसका उत्पादन बाजार में दिया जाएगा. मदनलाल कृषि में नवाचार करते रहते हैं. लाल मूली से पहले उन्होंने लाल गाजर की उन्नत किस्म दुर्गा विकसित की है. वे पूरे देश में इसके बीजों की आपूर्ति करते हैं. इसके अलावा गेहूं में भी नवाचार किया गया है. 2017 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और 2018 में केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह भी उन्हें इस काम के लिए सम्मानित कर चुके हैं.