शरद पाठक, छिंदवाड़ा। जिले में कृषि विभाग के अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। खुले आसमान के नीचे कैप में ढककर रखा कारोड़ों का गेहूं सड़ गया। इसके लिए जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए अब सड़े गेहूं की नीलाम करने टेंडर जारी किया गया है।

जानकारी के अनुसार जिले के चौरई ब्लॉक में चंदनवाड़ा ओपन कैप में रखा हुआ 27 करोड़ का गेहूं एफसीआई की निरीक्षण टीम द्वारा इंसानों के खाने योग्य नहीं पाया गया है। अब शासन ने इस सड़े हुए गेहूं को कौड़ियों के दाम नीलाम करने के टेंडर जारी कर दिया है।

बता दें कि लल्लूराम डॉट काम ने अक्टूबर 2021 को शासन द्वारा उपार्जित 14000 मीट्रिक टन गेहूं बर्बाद करने की खबर का प्रकाशन किया था। इसकी लागत 27 करोड़ रुपए थी। इस मामले को कृषि मंत्री कमल पटेल के संज्ञान में भी लाया गया था, तब उन्होंने दोषी व्यक्तियों पर कार्रवाई की बात भी कही थी। लेकिन 6 माह बीत जाने के बाद भी आज तक दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस सड़े हुए गेहूं को आखिरकार कौड़ियों के दाम बेचने के लिए अब टेंडर निकाला गया है।

पहले आशंका जाहिर की थी अब यह अनाज केवल शराब बनाने वाली फैक्ट्रियों के काम का रह गया है इसलिए इसका प्रत्यक्ष फायदा शराब कंपनियों को ही मिलेगा। शासन द्वारा 2020-21 में उत्पादित किए गए 46 हजार मीट्रिक टन गेहूं में से केवल 32000 मीट्रिक टन गेहूं सिविल सप्लाई कारपोरेशन द्वारा उठाया गया था। बाकी का 14 हजार मीट्रिक टन गेहूं चोरई के चंदनवाड़ा ओपन कैप में खुले में रखा हुआ था। डेढ़ साल तक बारिश पानी और खुले में रहने के कारण यह गेहूं पूरी तरह से खराब हो गया, इसमें से बदबू भी आने लगी थी।एफसीआई की टीम ने भी इसे जानवरों के खाने योग्य भी नहीं माना है।

इतनी बड़ी लापरवाही सामने आने के बाद भी अभी तक ना तो किसी पर कोई कार्रवाई हुई है और ना ही जिले के अन्य ओपन कैप में रखे हुए अनाज को सुरक्षित करने के लिए कोई कदम उठाए गए हैं। जिले के अन्य केंद्रों में भी इस तरह ओपन कैप में अनाज रखा हुआ है जो कि अब सड़ने की कगार पर पहुंच गया है। यहां पर सवाल यह भी उठता है कि आखिर इस तरह शासन के करोड़ों रुपए और किसान की मेहनत की बर्बादी कब तक होती रहेगी।

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