भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने देवेंद्र फडणवीस से अपने पद पर बने रहने और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में संगठन के लिए काम करने का आग्रह किया है. इसके साथ ही उनके इस्तीफे की पेशकश पर अटकलों का अंत हो गया है. दिल्ली में भाजपा कोर कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया. “भाजपा के शीर्ष नेताओं ने एक बार फिर फडणवीस को सरकार में बने रहने के लिए कहा है. अपने सरकारी कर्तव्यों के साथ-साथ उन्हें पार्टी के लिए संगठनात्मक कार्य करने के लिए कहा गया है.”

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में कोर कमेटी की बैठक में लोकसभा चुनाव परिणामों की समीक्षा की गई. भाजपा ने विफलता के पीछे स्थानीय कारणों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया. बैठक के दौरान यह मुद्दा भी सामने आया कि पार्टी को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजीत पवार के नेतृत्व वाली NCP के साथ अपने गठबंधन से चुनावी लाभ नहीं हुआ. भाजपा नेताओं ने कहा कि गठबंधन का वोट शेयर भाजपा उम्मीदवारों को ट्रांसफर नहीं हुए.

महाराष्ट्र में सत्ता में होने के बावजूद भाजपा का और गठबंधन का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा है. ऐसे में 4 माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी की चिंताएं बढ़ी हुई हैं. पार्टी ने राज्य में अपने पुराने गढ़ विदर्भ को फिर से मजबूत करने और अन्य क्षेत्रों में भी कमजोरी को दूर करने पर विचार किया है. साथ ही गठबंधन को लेकर पुनर्विचार की जरूरत भी बताई गई है.

भाजपा लोकसभा चुनाव में अपने दम पर स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं कर सकी है. यहां की 48 सीटों में से भाजपा को मात्र 9 सीटें ही मिली हैं, जबकि उसके सहयोगी दलों को 8 सीटें मिली हैं. भाजपा पर विपक्षी गठबंधन बहुत भारी पड़ा है और विधानसभा चुनाव को लेकर भी स्थितियां बहुत अनुकूल नहीं दिख रही हैं. बैठक के बाद देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र की कोर टीम ने केंद्रीय नेतृत्व के साथ बैठक की. परिणाम पर विस्तार से चर्चा की.

भाजपा नेतृत्व ने बैठक में पार्टी और गठबंधन दोनों की हार को लेकर राज्य के नेताओं से विस्तृत जानकारी ली और जिन सीटों पर कम अंतर से पार्टी की हार हुई, उसकी वजह भी जानी. इसके अलावा, विपक्षी गठबंधन को लाभ मिलने के कारणों की चर्चा की गई.

गौरतलब है कि भाजपा ने राज्य में अपनी सरकार का गठन शिवसेना के विभाजन से किया था और बाद में राकांपा का भी विभाजन कर सरकार को मजबूत किया था. हालांकि, लोकसभा चुनाव में यह गठबंधन अपना असर नहीं दिखा सका. ऐसे में भाजपा नेतृत्व गठबंधन को मजबूत करने के लिए नए सिरे से भी विचार कर रहा है. भाजपा को डर भी है कि अजित पवार वाला धड़ा वापस शरद पवार के साथ भी जा सकता है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल में अजित पवार ने सरकार में शामिल होने से इनकार कर दिया था. उधर, अजित पवार के समर्थक विधायकों में भी खलबली मची हुई है. भाजपा बेहद संभलकर आगे की रणनीति बना रही है. बैठक में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, संगठन महासचिव बीएल संतोष, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले, अशोक चव्हाण, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव आदि नेता मौजूद थे.