रायपुर- मनी लाॅड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा प्रमुख सचिव डाॅ.आलोक शुक्ला पर दर्ज एफआईआर मामले पर आज बिलासपुर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस पी आर रामचंद्र मेनन और जस्टिस पार्थ प्रीतम साहू की डिवीजन बेंच ने इस पर सुनवाई करते हुए ईडी को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने ईडी से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है.
बता दें कि ईडी ने नान घोटाले में करोड़ों रूपए के काले धन के सबूत मिलने का दावा करते हुए डाॅ. आलोक शुक्ला के खिलाफ प्रिवेंशन आफ मनी लाॅड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था. अचानक हुए एफआईआर पर तब भी सवाल उठे थे, लेकिन दलील दी गई थी कि ईडी एक स्वतंत्र जांच एजेंसी है, जो कालेधन से जुड़ी गड़बड़ियों पर कभी भी प्रकरण दर्ज कर सकती है. इसकी जांच कर सकती है.
डाॅ.आलोक शुक्ला ने ईडी द्वारा दर्ज किए गए एफआईआर के साथ-साथ प्रिवेंशन आफ मनी लाॅड्रिंग एक्ट को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका लगाई थी. डिवीजन बेंच ने इसे सुनवाई योग्य माना और आज इस याचिका स्वीकार कर ईडी को नोटिस जारी किया है.
डाॅ.आलोक शुक्ला ने वकील आयुष भाटिया ने लल्लूराम डाट काम से हुई बातचीत में कहा कि-
कोर्ट ने हमारी याचिका को स्वीकार करते हुए ईडी को नोटिस जारी किया है. तीन हफ्ते में जवाब देने के लिए कहा है. मनी लाॅड्रिंग केस मामले में ईडी ने जिन धाराओं में प्रकरण दर्ज किया है, वह असंवैधानिक हैं, इसे ही हमने कोर्ट में चैलेंज किया है.
इधर डाॅ.आलोक शुक्ला ने लल्लूराम डाट काम से बातचीत में कहा कि-
मैं इस वक्त दिल्ली में हूं. ईडी ने मुझे समन जारी किया था, कल मुझे ईडी के कार्यालय में उपस्थिति दर्ज करानी है. हाईकोर्ट में मैंने ईडी के एफआईआर को चुनौती दी थी. मेरी याचिका स्वीकार की गई है. आज हुई सुनवाई में ईडी को नोटिस जारी किया गया है. इस तरह के मामले राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से दर्ज किए जाते हैं.
नो कोरेसिव एक्शन बरकरार
ईडी के एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद हाईकोर्ट ने डाॅ.आलोक शुक्ला की जमानत याचिका पर पिछली सुनवाई में नो कोरेसिव एक्शन का आदेश दिया था. कोर्ट में रोस्टर बदले जाने के बाद यह प्रकरण जस्टिस प्रशांत मिश्रा की बेंच में आया, लेकिन उन्होंने सुनवाई करने से इंकार कर दिया है. ऐसे में नो कोरेसिव एक्शन का आदेश बरकरार रखा गया है. अब इस मामले में दूसरी बेंच सुनवाई करेगी.