हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है. अदालत ने सरकार को निर्देश दिया है कि किसी भी व्यक्ति को बिना थानाध्यक्ष की मंजूरी के अधीनस्थ अब किसी को नहीं बुला सकेंगे. पूछताछ के लिए आरोपी को भी बुलाने के लिए थाना प्रभारी की अनुमति आवश्यक होगी. बिना मंजूरी बुलाने पर किसी भी पुलिस स्टेशन में शिकायत की जा सकती है.

बता दें कि उत्तर प्रदेश के ललितपुर के पाली थाना के अंदर हुए दुष्कर्म मामले को उच्च न्यायालय ने संज्ञान लिया. उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने इस दुष्कर्म कांड को संज्ञान लेने के बाद एक बड़ा आदेश जारी किया है. कोर्ट ने निर्देश दिया कि किसी भी व्यक्ति को बिना थानाध्यक्ष की मंजूरी के अधीनस्थ थाने में नहीं बुला सकेंगे. वहीं दूसरी तरफ अभियुक्त को बुलाने के लिए थाना प्रभारी की अनुमति आवश्यक होगी.

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न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि “किसी भी पुलिस स्टेशन में शिकायत की जा सकती है. जिसमें जांच की आवश्यकता होती है और आरोपी की उपस्थिति, आपराधिक प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के तहत निर्धारित कार्रवाई का एक उपयुक्त तरीका है का पालन किया जाना चाहिए, जो ऐसे व्यक्ति को लिखित नोटिस देने पर विचार करता है, लेकिन मामला दर्ज होने के बाद ही किसी भी आरोपी को बुलाया जाना चाहिए.”