रायपुर. साय कैबिनेट विस्तार को लेकर चल रही अटकलों के बीच खबर आ रही है कि विस्तार को अब 20 अगस्त को अमलीजामा पहनाया जा सकता है. सूत्रों के हवाले से आ रही खबरों के मुताबिक कल यानी 19 अगस्त को शपथ ग्रहण की कोई संभावना नहीं है. यह तय है कि तीन नए मंत्री शपथ लेंगे.

मंत्रियों के नाम को लेकर अब तक संशय की स्थिति बनी हुई है. सिर्फ दुर्ग विधायक गजेन्द्र यादव के नाम पर किसी को कोई संशय नहीं है. यह तय है कि गजेंद्र यादव शपथ लेने वाले मंत्रियों में शामिल हैं.

वहीं आज देर रात मुख्यमंत्री निवास में विष्णुदेव साय ने अंबिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल और आरंग विधायक गुरु खुशवंत साहेब से मुलाकात कर वन टू वन चर्चा की है. चर्चा के बाद दोनों ही विधायक मुख्यमंत्री निवास से बाहर निकले और मुस्कुराते हुए रवाना हो गए. मुख्यमंत्री ने राजेश अग्रवाल और गुरु खुशवंत साहेब से कल और मुलाकात करने की बात कही है.

सीएम के शेड्यूल में कल राजभवन जाने का जिक्र नहीं

मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी 19 अगस्त के कार्यक्रम में राजभवन में शामिल होने का जिक्र नहीं है. सुबह 10.30 बजे से लेकर शाम 5.30 बजे तक मुख्यमंत्री मंत्रालय में रहेंगे. सुबह 11 बजे से कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करेंगे. शाम 3 बजे से 4.30 बजे तक कलेक्टरों से वीडियो कांफ्रेंसिंग होगी. इसके बाद मुख्यमंत्री एक प्रेजेंटेशन देखेंगे.

हरियाणा की तर्ज पर होगा मंत्रिमंडल का विस्तार

हरियाणा में भी 90 विधायक हैं. हरियाणा में बीजेपी सरकार में मुख्यमंत्री समेत 14 मंत्री हैं. लिहाजा, हरियाणा के फॉर्मूले को छत्तीसगढ़ में भी लागू करते हुए 3 और मंत्री बनाए जा सकते हैं. हालांकि छत्तीसगढ़ बनने के बाद से 13 मंत्री ही बनते आ रहे हैं. नियमों के तहत विधायकों की संख्या के 15 प्रतिशत ही मंत्री बन सकते हैं, इस लिहाज से 90 विधायकों में 13.5 मंत्री बन सकते हैं इसलिए मुख्यमंत्री समेत 14 मंत्री भी हो सकते हैं.

मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर बढ़ती सरगर्मियों के बीच नामों को लेकर उथल-पुथल के हालात अब भी बरकरार हैं. इस बीच भाजपा संगठन के एक भरोसेमंद सूत्र ने अब तक चर्चाओं में रहने वाले नामों के उलट नए नाम की चर्चा छेड़ दी है. इन नामों में अंबिकापुर से विधायक राजेश अग्रवाल, आरंग से विधायक गुरू खुशवंत सिंह और दुर्ग के विधायक गजेंद्र यादव शामिल हैं. इससे पहले तक जिन नामों को लेकर चर्चा रही हैं, उनमें अमर अग्रवाल, गजेंद्र यादव, पुरंदर मिश्रा, राजेश मूणत जैसे विधायकों के नाम शामिल थे.

गुरु खुशवंत के नाम की चर्चा क्यों?

आरंग सीट से विधायक खुशवंत साहेब सतनामी समाज के गुरु हैं. वह सतनामी समाज के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक भंडारपुरी गुरु गद्दी के उत्तराधिकारी हैं. सतनामी समाज के एक दूसरे प्रमुख तीर्थ स्थल गिरौदपुरी की गद्दी के उत्तराधिकारी कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुके गुरु रूद्र कुमार हैं. दोनों ही सतनामी समाज के संत गुरु घासीदास के वंशज हैं, लेकिन राजनीतिक तौर पर दोनों एक-दूसरे के धुर विरोधी हैं. भंडारपुरी गद्दी के गुरु बालदास के समाज में प्रभाव को आप इस तरह से समझिए कि साल 2013 के चुनाव के दौरान उन्होंने सतनाम सेना पार्टी का गठन कर चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारे थे. अनुसूचित जाति बहुल सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार उतरने से वोटों का समीकरण बिगड़ा और इसका फायदा भाजपा को हुआ. भाजपा ने तब राज्य की 10 अनुसूचित जाति की सीटों में से 9 पर जीत दर्ज की थी. मगर साल 2018 के चुनाव में गुरु बालदास की नाराजगी भाजपा को भारी पड़ गई. जब उन्होंने कांग्रेस का समर्थन किया था, लेकिन 2023 के चुनाव के ठीक पहले गुरु बालदास अपने बेटे गुरु खुशवंत साहेब के साथ भाजपा में शामिल हो गए.

भाजपा ने गुरु खुशवंत साहेब को आरंग से अपना उम्मीदवार बनाया था. उन्होंने पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री रहे शिव डहरिया को भारी मतों से हराकर जीत हासिल की थी. भाजपा के रणनीतिकार की माने तो गुरु खुशवंत साहेब को साय सरकार में मंत्री बनाकर भाजपा अनुसूचित जाति वर्ग के वोट बैंक में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है. संगठन के भीतर यह भी चर्चा रही है कि गुरु बालदास अपने विधायक बेटे को मंत्री बनाने के लिए दिल्ली तक दौड़ लगाते रहे हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा हाईकमान के कई वरिष्ठ नेताओं से उनकी चर्चा होती रही है. ऐसे में भाजपा को डर है कि अगर गुरु खुशवंत साहेब को मंत्री नहीं बनाया गया, तो गुरु बालदास की नाराजगी मोल लेनी पड़ सकती है और इसका असर आगामी चुनाव में पड़ सकता है.

राजेश अग्रवाल के नाम के पीछे क्या है समीकरण?

मंत्रिमंडल विस्तार में संभावित मंत्री के रूप में अंबिकापुर से विधायक राजेश अग्रवाल के नाम की चर्चा ने जोर पकड़ा है. विधानसभा चुनाव में राजेश अग्रवाल ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे टी एस सिंहदेव को मात देकर जीत दर्ज की थी. सरगुजा संभाग की राजनीति में टी एस सिंहदेव का ऊंचा कद रहा है. साल 2018 के चुनाव में सरगुजा संभाग से भाजपा का सूपड़ा साफ करने के पीछे टी एस सिंहदेव ही प्रमुख रणनीतिकार थे, लेकिन साल 2023 के विधानसभा चुनाव आते-आते समीकरण तेजी से बदल गए. कभी टी एस सिंहदेव के बेहद करीबी रहे राजेश अग्रवाल को भाजपा ने उनके ही विरुद्ध उम्मीदवार बनाया और उन्होंने सिंहदेव को करारी शिकस्त देते हुए जीत का परचम लहराया था. मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चल रही चर्चाओं में राजेश अग्रवाल का नाम आने के पीछे सिर्फ राजनीतिक समीकरण ही नहीं हैं, इसके परे भी कई अहम कारण हैं, जो उनकी दावेदारी को मजबूत करते दिख रहे हैं. बृजमोहन अग्रवाल के सांसद बनने के बाद से वैश्य समाज का सरकार में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है.

गजेंद्र यादव पर रार नहीं

आरएसएस बैकग्राउंड से आने वाले दुर्ग शहर से विधायक गजेंद्र यादव को मंत्री बनाया जाना लगभग तय है. चर्चा है कि आरएसएस की तरफ से भी उन्हें मंत्री बनाए जाने का दबाव है. आरएसएस से उनके नाम की पैरवी किए जाने की खबर है. साथ ही यादव समाज को साधने के लिहाज से भी मंत्रिमंडल में उन्हें जगह दिए जाने की वकालत की गई है. राज्य के ओबीसी वर्ग में साहू समाज के बाद सर्वाधिक जनसंख्या यादव समाज की है. ऐसे में गजेंद्र यादव की दावेदारी काफी मजबूत बताई जाती है. यादव समाज ने मंत्रिमंडल में समाज का प्रतिनिधित्व दिए जाने की मांग की है.