रायपुर. कांग्रेस नेता और स्व. रामअवतार जग्गी के पुत्र सतीश जग्गी ने कहा, मुझे और मेरे परिवार को जान का खतरा है. मैंने सरकार से सुरक्षा मांगी है. क्योंकि मुझे कोर्ट के काम से लगातार बाहर आना-जाना करना पड़ता है. और मैं जिन लोगों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहा हूँ वो किस प्रभावशाली वर्ग के हैं यह सभी जानते हैं.
सतीश जग्गी ने कहा, मेरे पिता की राजनीतिक हत्या हुई थी. और हत्या के पीछे गहरी साजिश रची गई थी. इस हत्या में बड़े राजनीतिक लोग सहित कई आपराधिक प्रवत्ति के लोग शामिल रहे हैं. 2003 से लगातार इस मामले की कानूनी लड़ाई परिवार के लोग लड़ रहे हैं.
21 सालों से जारी हमारी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. हाईकोर्ट ने हमारे पक्ष में फैसला दिया है. और इस मामले के जो नामजद 27 आरोपी है उनकी उम्रकैद की सजा बरकरार रखा है. जमानत में जो आरोपी अभी बाहर उन्हें वापस जेल जाना पड़ेगा. लेकिन इस मामले में आरोपी रहे अमित जोगी कोर्ट ने दोषमुक्त कर बरी कर दिया था. उनके खिलाफ भी लड़ाई जारी है.
हत्या के पीछे किसका हाथ था ? किसके कहने पर साजिश रची गई ? किसके कहने पर गोली चलाई गई थी ? इन सभी सवालों का जवाब मिलना बाकी है. वो तो जानते हैं लेकिन कोर्ट के जरिये इस सवाल का जवाब मिलेगा. न्याय मिलेगा. न्याय के लिए ही उन्होंने अमित जोगी के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाई है. कोर्ट से अमित जोगी को नोटिस भी गया. इस मामले में जल्द सुनवाई होगी. अमित जोगी पर जग्गी परिवार का जो आरोप है उसे न्यायालय में साबित करेंगे. हाईकोर्ट से जो ताजा निर्णय आया उससे मदद मिलेगी.
बता दें कि 4 जून 2003 को एनसीपी नेता की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में 31 अभियुक्त बनाए गए थे, जिनमें से दो बल्टू पाठक और सुरेंद्र सिंह सरकारी गवाह बन गए थे. और एक अमित जोगी को छोड़कर बाकी 28 लोगों को सजा गई थी, जिसके बाद आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी. हाईकोर्ट चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस अरविंद वर्मा डिवीजन बेंच ने आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है. आजीवन कारावास की सजा पाने वालों में दो तत्कालीन सीएसपी और एक तत्कालीन थाना प्रभारी के अलावा याहया ढेबर और शूटर चिमन सिंह शामिल हैं.
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