नई दिल्ली- JEE और NEET स्थगित करने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए परीक्षा को हरी झंडी दे दी है. कोर्ट के फैसले के बाद यह तय हो गया है कि परीक्षाएं अपने शेड्यूल के आधार पर ही आयोजित की जाएंगी. बता दें कि गैर बीजेपी शासित छह राज्यों के मंत्रियों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया.
जेईई-नीट को लेकर जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने विचार करने के बाद पुनर्विचार करने की याचिका को खारिज करने का फैसला सुनाया. 17 अगस्त को फैसला देने वाली पीठ की अध्यक्षता जस्टिस अरुण मिश्रा कर रहे थे, जो रिटायर हो चुके हैं. उनकी जगह जस्टिस अशोक भूषण ने ली है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट में जेईई और नीट परीक्षा पर पुनर्विचार करने के लिए याचिका दायर की गई थी. वकील सुनील फर्नांडिस के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट का 17 अगस्त का आदेश NEET और JEE परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों की सुरक्षा और उनके जीवन के अधिकार को सुरक्षित करने में विफल रहा है.
याचिका लगाने वाले छह राज्यों के मंत्रियों में छत्तीसगढ़ से अमरजीत भगत, बं.बंगाल से मोलाॅय घटक, झारखंड से रामेश्वर उरांव, पंजाब से बलबीर सिद्धू और महाराष्ट्र से उदय सामंत शामिल थे. हालांकि इससे पहले भी कोरोना वायरस संक्रमण की दलीलों के बीच विभिन्न राज्यों के 11 छात्रों की ओर से पूर्व में सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया गया था. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ऐसा करने से छात्रों का करियर संकट में पड़ जाएगा.
गौरतलब है कि 17 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2020 में होने वाली राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) और संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) स्थगित करने की याचिका खारिज कर दी थी. पीठ की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा था कि परीक्षा स्थगित करने से छात्रों का करियर संकट में आ जाएगा. जस्टिस अरुण मिश्रा ने याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा था कि जीवन को COVID-19 में भी आगे बढ़ना चाहिए. क्या हम सिर्फ परीक्षा रोक सकते हैं? हमें आगे बढ़ना चाहिए. अगर परीक्षा नहीं हुई तो क्या यह देश के लिए नुकसान नहीं होगा? छात्र शैक्षणिक वर्ष खो देंगे.