पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ में मक्का उत्पादन करने वाले किसानों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है. इस वर्ष नेफेड प्रदेश में मक्का की खरीदी करेगा, जिससे किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर मक्का बेचने का मौका मिलेगा. नेफेड मक्का की खरीदी कर उसे एथेनॉल उत्पादन करने वाली कंपनियों को बेचेगा, जिससे देश की विदेशी पेट्रोलियम आयात पर निर्भरता घटेगी और किसानों को उचित मूल्य प्राप्त होगा. इसका सबसे ज्यादा फायदा गरियाबंद जिले के किसानों को होने वाला है, क्योंकि गरियाबंद मक्का उत्पादन में अग्रणी है.
गरियाबंद में प्रति वर्ष 17 हजार हेक्टेयर में 40 से 50 हजार मीट्रिक टन मक्का का उत्पादन होता है. यह आंकड़ा रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर संभाग के आने वाले 20 जिले में से सबसे ज्यादा है. तीन संभाग में गरियाबंद का स्थान सबसे पहले आता है. लेकिन मक्का की खरीदी पर किसानों को धान की तरह सरकारी सुविधा नहीं मिलती. खरीदी का सरकारी प्रावधान धान खरीदी केंद्र में होता है पर विक्रय करने पसीने छूट जाते हैं. ऐसे में कृषक पूरी तरह स्थानीय व्यापारी पर निर्भर रहते हैं. लेकिन इस सीजन में नेफेड (भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ) की एंट्री हो रही है. दो दिन पहले ही नेफेड के राज्य नोडल अफसर संजय सिंह देवभोग और मैनपुर ब्लॉक में अपने टीम के साथ विजिट किया. नेफेड के अफसर मक्का उत्पादक कृषकों के साथ मिल उत्पादन और बाजार की क्रोनोलोजी को समझने के अलवा नेफेड की प्रक्रिया का प्रचार किया. उत्पादक तहसील में नेफेड का प्रचार वाहन भी घूम रहा, वाहन में बार कोड भी दिया गया है, जिससे आसानी से किसान अपने मोबाइल से ही नेफेड में अपना पंजीयन करा रहे हैं.
मक्का से बनेगा एथेनॉल
संजय सिंह ने कहा कि नेफेड एमएसपी दर पर मक्का की खरीदी कर उसे एथनाल बनाने वाली भारतीय कंपनी को बेचेगी. भारत आयातित पेट्रोलियम में 20 प्रतिशत एथनाल मिक्स करती है, जिसे डॉलर खर्च कर विदेशो से लेना पड़ता है. मक्का में एथनाल बनाने के ठोस तत्व मौजूद है, विदेश में भी इसका प्रयोग होता है. राज्य में 7 लाख टन मक्का की पैदावारी प्रति साल होता है. प्रत्येक जिले में नेफेड मक्का खरीदी करेगी. कैसे खरीदी होगी उस की प्लानिंग हो रही है. खरीदी के लिए सहकारी समितियों की भागीदारी भी ली जाएंगी.
जाने क्या है नेफेड
भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड ) भारत में कृषि उपज के लिए विपणन सहकारी समितियों का एक संगठन है. इसकी स्थापना 2 अक्टूबर 1958 को महात्मा गांधी के जन्मदिन पर पूरे देश में कृषि उपज और वन संसाधनों के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए की गई थी. यह बहु राज्य सहकारी समिति अधिनियम के तहत पंजीकृत है. नई दिल्ली में मुख्यालय , नेफेड के दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में चार क्षेत्रीय कार्यालय हैं, इसके अलावा 28 क्षेत्रीय कार्यालय हैं. महाराष्ट्र के बाजार में नेफेड के दखल के बाद चना उत्पादन में क्रांति आई. किसानों को पहले से ज्यादा मुनाफा हुआ.
कारोबारी कम कीमत देते थे, पर सुविधा इतनी की एमएसपी को भूल जाते हैं किसान
मक्का का समर्थन मूल्य 2225 रूपए प्रति क्विंटल निर्धारित है. सहकारी समिति में खरीदी की व्यवस्था भी,लेकिन प्रक्रिया जटिल और खर्चीला. इसकी तुलना में कारोबारी 100 से 200 रुपये तक कम दाम देते हैं, लेकिन उसके बदले खलिहान से उठा लेते है. 14 प्रतिशत नमी की सीमा भी लांघ जाते हैं. ज्यादातर भुगतान एडवांस में या फिर तौल के बाद सीधे किसान के हाथ में देते हैं. कारोबारी खलिहान से मक्का सीधे कनाडा भेज देते हैं. अब तक इसका उपयोग कार्न और अन्य प्रोटीन पाउडर बनाने वाली कंपनी के अलावा पशु पक्षी आहार बनाने के उपयोग लाया जा रहा है.
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