नई दिल्ली। दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित बच्चों के परिजनों के करोड़ों रुपए कीमत की दवाइयों के लिए परेशान होने की खबर कई बार मीडिया की सुर्खियां बटोरती हैं. दुर्लभ बीमारी के शिकार लोगों के साथ उनके परिजनों की समस्याओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए आयात किए जाने वाली दवाओं पर बेसिक कस्टम ड्यूटी में छूट का ऐलान किया है.

केंद्र सरकार की ओर से 30 मार्च को जारी सर्कुलर में बताया नए नियम के तहत अब निजी इस्तेमाल के लिए मंगाई जाने वाली दवाओं पर कस्टम ड्यूटी नहीं देनी होगी. इसके साथ ही विशेष चिकित्सा उद्देश्यों के लिए मंगाए जाने वाले फूड प्रोडक्ट्स पर भी कस्टम ड्यूटी में छूट की घोषणा की गई है. यह छूट उन बीमारियों पर लागू होगी जो नेशनल पॉलिसी फॉर रेयर डिजीज 2021 में लिस्टेड हैं.

बता दें कि हाल ही में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से निहारिका नाम की एक छोटी लड़की के कैंसर से जुड़ी दवा पर कस्टम ड्यूटी में छूट की मांग की थी. वित्त मंत्री ने मामले का संज्ञान लेते हुए इस इम्यूनोथेरेपी दवा पर कस्टम ड्यूटी में 7 लाख रुपए की छूट की अनुमति दी.

10 प्रतिशत बेसिक ड्यूटी

अभी तक आम तौर पर इन दवाओं पर 10 फीसदी का बेसिक कस्टम ड्यूटी लगता है, जबकि जीवन रक्षक दवाओं/टीकों की कुछ श्रेणियों पर 5 फीसदी या शून्य की रियायती दर लगती है. सरकार के नए नियमों के तहत छूट का लाभ उठाने के लिए आयात करने वाले शख्स को सेंट्रल या स्टेट डायरेक्टर हेल्थ सर्विसेज या डिस्ट्रिक्ट मेडिकल ऑफिसर या जिले के सिविल सर्जन से एक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा.

कुछ दवाओं पर पहले ही मिली है छूट

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी या ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसी बीमारियों के इलाज के लिए कुछ दवाओं पर पहले ही केंद्र सरकार की ओर से छूट दी जा रही है. लेकिन अब कि सरकार को अन्य दुर्लभ बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के लिए कस्टम ड्यूटी में राहत की मांग करने वाले आवेदन मिल रहे हैं.

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