बिलासपुर। रोजगार एवं प्रशिक्षण विभाग में वर्ष 2013 में नियुक्त प्रशिक्षण अधिकारियों को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. लगभग तीन माह चली सुनवाई के बाद हाई कोर्ट के डिविजन बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद प्रशिक्षण अधिकारियों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए संचालक द्वारा प्रशिक्षण अधिकारियों की सेवा समाप्ति के लिए जारी कारण बताओ नोटिस को खारिज कर दिया.

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अपीलकर्ता के वकील यह साबित नहीं कर सके कि रिट याचिकाकर्ताओं (प्रशिक्षण अधिकारियों) की गलती कैसे है. यदि उनकी नियुक्ति 1998 के नियम में निहित आरक्षण नियमों के अनुसार नहीं की गई थी, यदि नियुक्ति के समय किसी नियमों का पालन नहीं भी हुआ है, तो यह उन अधिकारियों की गलती है, जिन्होंने पूरी भर्ती प्रक्रिया का संचालन किया था. किसी की गलती की सजा किसी अन्य को नहीं दिया जा सकता.

डीपीसी पर जताई थी असमर्थतता

ज्ञात हो कि उच्च न्यायालय के द्वारा वर्ष 2021 में 50 प्रशिक्षण अधिकारियों के पदोन्नति हेतु छह अलग-अलग मामलों में विभाग को डीपीसी बैठने के आदेश दिए थे. किंतु संचालक द्वारा इन 50 प्रशिक्षण अधिकारियों को ही निशाना बनाते हुए सेवा समाप्ति का कारण बताओ नोटिस जारी कर डीपीसी आयोजित करने में असमर्थता व्यक्त कर दी थी.

पदोन्नति का हुआ रास्ता साफ

अब कारण बताओ नोटिस के उच्च न्यायालय की एकल एवं डिविजन बेंच द्वारा खारिज किये जाने के बाद प्रशिक्षण अधिकारियों की प्रशिक्षण अधीक्षक पद पर पदोन्नति का रास्ता भी साफ हो गया है. मामले में पदोन्नति से वंचित याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता फैजल अख्तर से पैरवी की.

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