रायपुर। छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के महाप्रबंधक अशोक चतुर्वेदी के खिलाफ ईओडब्लू की जांच में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. ईओडब्ल्यू की जांच में जो तथ्य सामने आया है उसके मुताबिक पाठ्य पुस्तक निगम में पदस्थ रहते हुए चतुर्वेदी ने अपने बेटे को विदेश में पढ़ाने के लिए एक फर्म की स्थापना कर ठेका दिलाया.
ईओडब्ल्यू की जांच में खुलासा हुआ है कि चतुर्वेदी ने इस कारनामे को अंजाम देने के लिए अपने दो रिश्तेदारों हितेश और रुपेश चौबे के नाम से होप इंटरप्राइजेस व होप कंस्ट्रक्शन नाम की एक फर्म बनाई. उन्होंने इन दोनों फर्मों को पाठ्य पुस्तक निगम और मंडी बोर्ड से सप्लाई के करोड़ों रुपये के बड़े-बड़े ठेके दिलवाए. बताया जा रहा है कि चतुर्वेदी अपने बेटे आदित्य चतुर्वेदी को एंटीगुआ में प्री मेडिसीन की पढ़ाई करा रहे थे.
महज डेढ़ साल की एक छोटी सी अवधि में उनकी फर्म को लगभग 86 करोड़ रुपये से अधिक की आय हुई. इस पूरे मामले का खुलासा उनके फर्म होप के कर्मचारी अनिमेश सिंह निवासी खुर्सीपार भिलाई और हितेश चौबे के बीच हुए विवाद के सामने आने से हुआ. हितेश चौबे और अनिमेश सिंह ने एक-दूसरे के खिलाफ भिलाई के खुर्सीपार थाना में 19 नवंबर को 5-6 करोड़ के देनदारी का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी.
इस बारे में लल्लूराम डॉट कॉम ने अशोक चतुर्वेदी से बात की,तो उनका कहना था कि इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की जानी चाहिये,जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो सके. उन्होंने कहा कि एक वरिष्ठ अधिकारी के ईशारे पर उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है और बदनाम करने की कोशिश की जा रही है.चतुर्वेदी ने कहा कि जब से उन्होंने अपने तबादले के खिलाफ हाईकोर्ट से स्टे लिया है,तब से एक बड़े अधिकारी के दबाव में ईओडब्ल्यू की जांच कराई जा रही है और ऐसे दो मामलों को दोबारा खुलवाया गया है,जिनका खात्मा हो गया है.उन्होंने मांग की कि 2005 से लेकर 2019 तक के मामलों की सीबीआई से जांच कराई जाये,तब पूरा खुलासा सामने आयेगा. चतुर्वेदी ने कहा कि बेटे की पढ़ाई के खर्च के लिये उन्होंने नियमों का पालन करते हुए होप इंटरप्राइजेस से स्पांसरशिप ली थी और बाकायदे इस बात की सूचना तात्कालीन राज्य सरकार को दी थी और राज्य सरकार से इसकी विधिवत मंजूरी ली गई थी.
पाठ्य पुस्तक निगम में भ्रष्टाचार की चल रही जांच में आने वाले दिनों में और भी कई बड़े खुलासे होने की उम्मीद है. आपको बता दें अशोक चतुर्वेदी बरसों से निगम में जमे हुए हैं और हाल ही में सरकार ने उनका वहां से तबादला कर दिया था लेकिन उन्होंने हाईकोर्ट से तबादले के खिलाफ स्टे ले लिया था.