रवि साहू, नारायणपुर। छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर दो कैथोलिक ननों की गिरफ्तारी मामले को लेकर मचे सियासी बवाल के बीच अब एक नया मोड़ आया है। जहां एक तरफ बजरंग दल ने ननों पर जबरन धर्मांतरण और मानव तस्करी का आरोप लगाया, वहीं अब उन्हीं तीन आदिवासी युवतियों में से एक ने सामने आकर पूरे मामले को गलत बताया है। युवती कमलेश्वरी प्रधान ने साफ कहा कि वह ननों के साथ अपनी मर्जी और माता-पिता की सहमति से आगरा जा रही थी और उस पर किसी तरह का दबाव नहीं था।


कमलेश्वरी ने कहा कि दुर्ग में उनके साथ मारपीट की गई और ननों के खिलाफ जबरन बयान दिलवाए गए। हम तीनों पर ननों की ओर से कोई दबाव नहीं था। वे हमें काम के सिलसिले में आगरा ले जा रही थीं, जहां से हमें भोपाल जाना था। वहां एक ईसाई अस्पताल में हमें नौकरी मिलनी थी। हमें 10 हजार रुपये मासिक वेतन के साथ भोजन, कपड़े और आवास की सुविधा दी जानी थी।

कमलेश्वरी ने आगे बताया कि वह और ओरछा क्षेत्र की दो अन्य युवतियां 25 जुलाई की सुबह दुर्ग स्टेशन पहुंची थीं। इसी दौरान एक व्यक्ति से सामना हुआ और फिर कई अन्य लोग भी वहां आ गए। तीनों को डरा-धमकाकर बयान दिलवाया गया। धर्मांतरण के आरोप पर कमलेश्वरी ने कहा कि वह पिछले 10 वर्षों से ईसाई धर्म को मानती हैं। वहीं युवक सुखमन मंडावी के बारे में उसने बताया कि उसे भी झूठे आरोप में फंसाया गया है।
क्या है पूरा मामला?
25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने केरल की दो कैथोलिक ननों सिस्टर प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस के साथ एक युवक सुखमन मंडावी और नारायणपुर जिले की तीन आदिवासी लड़कियों को रोका था। आरोप लगाया गया कि ये तीनों लड़कियों को बहला-फुसलाकर धर्मांतरण के लिए आगरा ले जा रहे थे। बजरंग दल की जिला संयोजिका ज्योति शर्मा के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन कर नारेबाजी की और इन सभी को जीआरपी के हवाले कर दिया। इसके बाद GRP थाना भिलाई-3 के अंतर्गत दुर्ग जीआरपी चौकी में मामले की जांच शुरू हुई और धर्मांतरण की धारा 4 के तहत मामला दर्ज कर ननों और युवक को न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया।
मुद्दे पर गरमाई सियासत, विपक्षी दल हुए आक्रामक
ननों की गिरफ्तारी के बाद छत्तीसगढ़ से लेकर देश की सियासत गरमा गई। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखकर घटना की निंदा की और इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला बताया। राहुल गांधी ने इसे भाजपा-आरएसएस का “गुंडा राज” करार देते हुए धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर आपत्ति जताई और कहा कि ननों को झूठे आरोपों में फंसाया गया। सीपीआई (एम) की बृंदा करात समेत अन्य सांसदों ने रायपुर जेल जाकर ननों से मुलाकात की और इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन बताया। उधर कांग्रेस पीसीसी चीफ दीपक बैज ने केरल और छत्तीसगढ़ भाजपा के विरोधाभासी बयानों को लेकर भाजपा पर ध्रुवीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की।
कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज की, अब NIA कोर्ट में होगी सुनवाई
इस केस में 30 जुलाई को बड़ा अपडेट सामने आया जब सेशन कोर्ट ने ननों की जमानत याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि यह मामला उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता क्योंकि इसमें मानव तस्करी की धाराएं शामिल हैं। अब केस बिलासपुर स्थित NIA कोर्ट में सुना जाएगा। फिलहाल दोनों नन जेल में ही रहेंगी।
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