रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में कुपोषण मुक्ति के लिए शुरू किए गए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं. पिछले तीन सालों मेें प्रदेश के लगभग दो लाख 11 हजार बच्चे कुपोषण के चक्र से बाहर आ गए हैं. जबकि वर्ष 2019 में इस अभियान के शुरू होते समय कुपोषित बच्चों की संख्या 4 लाख 33 हजार थी. इस प्रकार कुपोषित बच्चों की संख्या में 48 प्रतिशत की कमी एक उल्लेखनीय उपलब्धि है. इसके साथ ही योजना के तहत नियमित गरम भोजन और पौष्टिक आहार मिलने से प्रदेश की लगभग 85 हजार महिलाएं भी एनीमिया मुक्त हो चुकी है.
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015-16 में जारी राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण-4 के आंकड़े देखें तो प्रदेश के 5 वर्ष से कम उम्र के 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण और 15 से 49 वर्ष की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थीं. वर्ष 2018 में यह आंकड़ा बढ़कर 40 प्रतिशत हो गया. इस प्रकार वर्ष 2016 से 2018 के मध्य कुपोषण कम होने के बजाय 2.3 प्रतिशत बढ़ गया. कुपोषित बच्चों में अधिकांश आदिवासी और दूरस्थ वनांचलों के थे. राज्य सरकार ने इसे चुनौती के रूप में लेते हुए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूआत 2 अक्टूबर 2019 से की.
छत्तीसगढ़ में चलाए जा रहे मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान और संकल्पित प्रयासों का सुखद परिणाम रहा कि कुपोषण की दर में लगातार कमी आई है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के 2020-21 में जारी रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 5 वर्ष तक बच्चों के वजन के आंकड़े देखे तो कुपोषण की दर 6.4 प्रतिशत कम होकर 31.3 प्रतिशत हो गई है. यह दर कुपोषण की राष्ट्रीय दर 32.1 प्रतिशत से भी कम है.
वजन त्यौहार के आंकड़े देखें तो वर्ष 2019 में छत्तीसगढ़ में कुपोषण 23.37 प्रतिशत था, जो वर्ष 2021 में घटकर मात्र 19.86 प्रतिशत रह गया है. इस प्रकार कुपोषण की दर में दो वर्षों में 3.51 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है, जो कुपोषण के खिलाफ शुरू की गई जंग में एक बड़ी उपलब्धि है. जुलाई 2021 में आयोजित वजन त्यौहार में लगभग 22 लाख बच्चों का वजन लिया गया था. इस दौरान पारदर्शी तरीके से कुपोषण के स्तर का आंकलन किया गया. डाटा की गुणवत्ता परीक्षण और डाटा प्रमाणीकरण के लिए बाह्य एजेंसी की सेवाएं ली गई थी. इसी तरह वर्ष 2022 में भी एक अगस्त से 13 अगस्त तक प्रदेश में वजन त्यौहार मनाया जा रहा है. इसके आंकड़ों के आधार पर प्रदेश में वर्तमान कुपोषण दर का आकलन किया जाएगा.
उल्लेखनीय है कि सीएम की पहल पर मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के माध्यम से कुपोषण मुक्ति के लिए प्रदेशव्यापी अभियान चलाया जा रहा है. महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य और सुपोषण को प्राथमिकता क्रम में रखते हुए इसके लिए राज्य में DMF, CSR और अन्य मदों की राशि का उपयोग किए जाने की अनुमति मुख्यमंत्री बघेल ने दी है. जनसहयोग भी लिया गया है. योजना के तहत कुपोषित महिलाओं, गर्भवती और शिशुवती माताओं के साथ बच्चों को गरम भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. राशन में आयरन और विटामिन युक्त फोर्टीफाइड चावल और गुड़ देकर लोगों के दैनिक आहार में विटामिन्स और मिनरल्स की कमी को दूर करने का प्रयास किया गया है. इसके साथ ही गुणवत्तापूर्ण पौष्टिक रेडी टू ईट और स्थानीय उपलब्धता के आधार पर पौष्टिक आहार देने की भी व्यवस्था की गई है. महिलाओं और बच्चों को फल, सब्जियों सहित सोया और मूंगफली की चिक्की, पौष्टिक लड्डू, अण्डा सहित मिलेट्स के बिस्कुट और स्वादिष्ठ पौष्टिक आहार के रूप में दिया जा जा रहा है. इससे बच्चों में खाने के प्रति रूचि जागने से कुपोषण की स्थिति में सुधार आया है.
प्रदेश में कुपोषण मुक्ति के लिए विभिन्न विभागों के साथ योजनाओं कोे एकीकृत कर समन्वित प्रयास किये गये हैं. मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना और मलेरिया मुक्त अभियान, दाई दीदी क्लिनिक योजना के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर, प्राथमिक एवं उप स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधाओं को विस्तार दिया गया है. इससे तेजी से महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य के साथ कुपोषण स्तर में सुधार देखा जा रहा है.
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