पटना। चुनाव आयोग ने सोमवार को बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की आधिकारिक घोषणा कर दी। इस बार का चुनाव इसलिए खास है क्योंकि 2003 के बाद पहली बार बिहार में वोटर लिस्ट का विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) किया गया। इस प्रक्रिया के तहत राज्य के मतदाताओं की नई गिनती की गई और अंतिम सूची 30 सितंबर को आयोग की वेबसाइट पर जारी कर दी गई। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार बिहार में कुल 7.43 करोड़ मतदाता हैं।

मुख्य राजनीतिक मुकाबला: एनडीए बनाम इंडिया गठबंधन

बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला इस बार भी एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच ही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए में बीजेपी, जेडीयू, लोजपा (रामविलास) और हम जैसी पार्टियां शामिल हैं। वहीं विपक्षी इंडिया गठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, वीआईपी और वाम मोर्चा की पार्टियां शामिल हैं। बिहार चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बीच प्रत्यक्ष टकराव देखने को मिल सकता है। यूपी, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कुछ नुकसान हुआ था लेकिन बिहार में एनडीए की स्थिति मजबूत बनी हुई है। वहीं विपक्ष को उम्मीद है कि इस चुनाव के जरिए राजनीतिक समीकरणों में बदलाव ला सके।

पिछले पांच चुनावों का विश्लेषण

नीतीश कुमार पिछले 20 वर्षों से बिहार की सत्ता में हैं और इस दौरान राज्य की सियासत में कई बदलाव आए हैं। बिहार की सियासत में पिछले दो दशकों में कई करवटें बदली हैं लेकिन एक चेहरा ऐसा रहा जो हर समीकरण के बीच सत्ता की कुर्सी से चिपका रहा नीतीश कुमार जेडीयू के सुप्रीम लीडर के तौर पर नीतीश पिछले 20 सालों से बिहार की राजनीति के केंद्र में हैं। इन दो दशकों में गठबंधन बने, टूटे, सरकारें बदलीं, लेकिन नीतीश हर बार अपनी रणनीति से सत्ता पर काबिज रहे। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि पिछले पांच विधानसभा चुनावों में बिहार की सियासत किस तरह बदलती गई।

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 , कांटे की टक्कर और नीतीश की वापसी

2020 के विधानसभा चुनाव में मुकाबला बेहद करीबी रहा। आरजेडी ने 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। भाजपा 74 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही जबकि नीतीश कुमार की जेडीयू को सिर्फ 43 सीटें मिलीं। कांग्रेस को 19, सीपीआई (एमएल) को 12 और AIMIM को 5 सीटें मिलीं। वोट प्रतिशत की बात करें तो आरजेडी को 23.11%, भाजपा को 19.46%, जेडीयू को 15.39%, कांग्रेस को 9.48% और सीपीआई (एमएल) को 3.16% वोट मिले। हालांकि, सीटों में पिछड़ने के बावजूद एनडीए ने मिलकर बहुमत हासिल किया और नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री बने।

बिहार विधानसभा चुनाव 2015 , महागठबंधन की ऐतिहासिक जीत

2015 का चुनाव बिहार की सियासत के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। नीतीश कुमार ने भाजपा से अलग होकर आरजेडी और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाया। इस रणनीति ने कमाल कर दिया। नतीजों में आरजेडी 80 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी, जबकि जेडीयू ने 71 सीटें जीतीं। भाजपा को सिर्फ 53 सीटें मिलीं और कांग्रेस को 27 सीटें मिलीं। वोट शेयर में आरजेडी को 18.4%, जेडीयू को 16.8%, भाजपा को 24.4% और कांग्रेस को 6.7% वोट मिले। महागठबंधन की शानदार जीत के बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने और तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री पद पर काबिज हुए।

बिहार विधानसभा चुनाव 2010 , एनडीए की प्रचंड जीत

2010 में एनडीए (जेडीयू-भाजपा गठबंधन) ने एक बार फिर बिहार की सत्ता पर कब्जा किया। नीतीश कुमार के नेतृत्व में जेडीयू ने इस चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया। जेडीयू को 115 सीटें भाजपा को 91 सीटें आरजेडी को 22 सीटें कांग्रेस को 4 सीटें और लोजपा को 3 सीटें मिलीं। वोट प्रतिशत में जेडीयू को 22.58%, भाजपा को 16.49%, आरजेडी को 18.84%, कांग्रेस को 8.37% और लोजपा को 6.74% वोट मिले। इस जीत ने नीतीश कुमार की छवि एक विकासवादी नेता के रूप में और मजबूत की।

अक्टूबर 2005 का विधानसभा चुनाव सत्ता में वापसी की शुरुआत

फरवरी 2005 में अधर में लटके जनादेश के बाद अक्टूबर में दोबारा चुनाव हुए। इस बार एनडीए एकजुट होकर मैदान में उतरा और सत्ता पर काबिज हो गया। जेडीयू को 88 सीटें भाजपा को 55 सीटें आरजेडी को 54 सीटें लोजपा को 10 सीटें और कांग्रेस को 9 सीटें मिलीं। वोट शेयर के लिहाज से जेडीयू को 20.46%, भाजपा को 15.65%, आरजेडी को 23.45%, लोजपा को 11.1% और कांग्रेस को 6.09% वोट मिले। इसी चुनाव से नीतीश कुमार के सुशासन बाबू युग की शुरुआत हुई।

फरवरी 2005 का विधानसभा चुनाव , बिहार की सियासत में गतिरोध

फरवरी 2005 के विधानसभा चुनावों में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। आरजेडी को झटका लगा और उसकी सीटें घटकर 75 रह गईं। जेडीयू को 55, भाजपा को 37, लोजपा को 29 और कांग्रेस को 10 सीटें मिलीं। वोट प्रतिशत में आरजेडी को 25.97%, जेडीयू को 14.55%, भाजपा को 10.97%, लोजपा को 12.62% और कांग्रेस को 5% वोट मिले। यह चुनाव एक हंग असेंबली में तब्दील हुआ और इसी वजह से अक्टूबर में दोबारा चुनाव करवाए गए।

इस बार कितने हैं वोटर्स?

बिहार में इस बार 7.43 करोड़ मतदाता हैं जिनमें 3.92 करोड़ पुरुष और 3.50 करोड़ महिला मतदाता शामिल हैं।
चुनाव आयोग के मुताबिक, 18-19 वर्ष आयु वर्ग के 14 लाख 1 हजार से अधिक युवा मतदाता हैं जबकि 20-29 वर्ष के मतदाताओं की संख्या 1.63 करोड़ है। राज्य में दिव्यांग मतदाताओं की संख्या 7.20 लाख है। युवा वोटर्स, खासकर पहली बार वोट डालने वाले मतदाता बिहार की राजनीति में हमेशा से गेम चेंजर की भूमिका निभाते आए हैं।