पटना। बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही राजनीतिक पारा चढ़ने लगा है। सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीट बंटवारे को लेकर जारी रस्साकशी अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचती दिख रही है। इसी बीच आज एनडीए के सभी घटक दलों की एक महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है, जिसमें सीटों के फार्मूले से लेकर चुनावी रणनीति तक पर चर्चा होने की उम्मीद है। चुनावी शंखनाद के बाद यह पहला मौका होगा जब बीजेपी, जदयू, हम (हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा) और लोजपा (रामविलास) के शीर्ष नेता एक साथ एक मंच पर दिखाई देंगे। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में न सिर्फ सीटों के बंटवारे पर मंथन होगा बल्कि प्रचार अभियान और उम्मीदवारों के चयन को लेकर भी व्यापक चर्चा हो सकती है।
सीट बंटवारे पर अब भी फंसा पेंच
एनडीए के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान अभी खत्म नहीं हुई है। सूत्र बताते हैं कि चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। दोनों ही दल कुछ खास सीटों पर अपने-अपने उम्मीदवार उतारने को लेकर अड़े हुए हैं। यही वजह है कि गठबंधन में अंदरूनी मतभेद अब भी बरकरार हैं।
बीजेपी-जदयू में तालमेल, लोजपा अब भी असंतुष्ट
हालांकि बीजेपी और जदयू के बीच सीटों पर प्रारंभिक सहमति बन चुकी है। दोनों दलों ने अपने हिस्से के सीटों का मोटा-मोटा खाका तैयार कर लिया है। लेकिन लोजपा (रामविलास) को लेकर मामला अभी अटका हुआ है। बीजेपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने कुछ दिन पहले दिल्ली में चिराग पासवान से मुलाकात कर उन्हें मनाने की कोशिश की थी मगर बातचीत पूरी तरह से सफल नहीं हो पाई।
आज की बैठक से तय होंगे आगे के समीकरण
राजनीतिक गलियारों में यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है। माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद एनडीए की सीट बंटवारे की तस्वीर साफ हो जाएगी। साथ ही गठबंधन की चुनावी रणनीति, प्रचार की रूपरेखा और उम्मीदवारों की पहली सूची पर भी अंतिम मुहर लग सकती है। बीजेपी सूत्रों के अनुसार पार्टी चाहती है कि जल्द से जल्द अंदरूनी मसले सुलझाकर एकजुटता का संदेश जनता तक पहुंचे।
गठबंधन में बनी रहे एकता
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनावी समीकरण के लिहाज से यह बैठक एनडीए के लिए निर्णायक साबित हो सकती है। यदि आज की चर्चा में सभी दलों के बीच सहमति बन जाती है, तो गठबंधन एक मजबूत स्थिति में आ सकता है। हालांकि अगर सीटों को लेकर मतभेद जारी रहे तो इसका सीधा असर चुनावी नतीजों और प्रचार रणनीति पर पड़ सकता है।
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