Bihar Assembly Elections 2025: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों में हलचल तेज़ है. अब राष्ट्रीय जनता दल यानी RJD ने भी बड़ा संगठनात्मक बदलाव करने का फैसला किया है. पार्टी की ओर से संकेत दिए गए हैं कि प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय अध्यक्ष दोनों पदों पर नए चेहरे दिख सकते हैं. 21 जून को नए बिहार प्रदेश अध्यक्ष का नाम तय हो जाएगा, जबकि 5 जुलाई को राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम का ऐलान होगा.
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस बदलाव के पीछे पार्टी की संगठनात्मक मजबूती और तेजस्वी यादव के नेतृत्व को मजबूती देने की मंशा बताई जा रही है. लंबे समय से प्रदेश अध्यक्ष रहे जगदानंद सिंह की विदाई तय मानी जा रही है. पार्टी ने जगदानंद की उम्र और स्वास्थ्य को लेकर भी यह निर्णय लिया है.
बता दें कि बीते कुछ महीनों से जगदानंद सिंह काफी परेशान हैं. आरजेडी से नाराज हैं. इतना ही नहीं राजद कार्यालय भी जगदा बाबू दूरी बनाए हुए हैं. ऐसे भी कहा जा रहा है कि वो कार्यालय पहुंचते ही नहीं हैं. हालांकि बीते 21 अप्रैल को ये खबर आई थी कि उन्होंने दिल्ली एम्स में भर्ती लालू प्रसाद यादव से करीब ढ़ाई घंटे लंबी मुलाकात की थी. माना जा रहा है कि उस मुलाकात में संगठनात्मक बदलाव को लेकर चर्चा हुई और वहीं इस बदलाव की नींव रखी गई.
लालू और जगदा बाबू की दोस्ती
जगदानंद सिंह और लालू यादव की दोस्ती की शुरुआत जनता दल के दौर से हुई थी. जब लालू 1997 में आरजेडी की नींव रखी तब जगदानंद सिंह उनके साथ मजबूती से खड़े रहे. लालू यादव और जगदा बाबू का ये रिश्ता इतना गहरा है कि लालू उन्हें प्यार से जगदा बाबू कह कर बुलाते हैं. बता दें कि राजनीतिक उतार-चढ़ाव में जब कई साथी लालू से दूरी बना लेते हैं तब जगदा उनके साथ मजबूती से खड़े रहे. चाहे वह चारा घोटाला हो या फिर लालू का जेल जाना. जगदानंद सिंह ने कभी भी लालू यादव का विश्वास नहीं तोड़ा.
कौन हैं जगदानंद सिंह?
जगदानंद सिंह नवंबर 2019 से राजद के बिहार प्रदेश अध्यक्ष हैं. इसके पहले जगदा 6 बार विधायक बने और एक बार सांसद भी रह चुके हैं. कई विभागों के मंत्री भी रह चुके हैं. लालू-राबड़ी सरकार में वे बिजली विभाग के मंत्री बने और उस समय उन्होंने बक्सर के गांवों में बिजली पहुंचाने का शानदार काम किया था. इस वजह से लोग उन्हें ‘बिजुलिया बाबा’ भी कहते हैं.
राजद में जगदानंद सिंह की भूमिका
जगदानंद सिंह ने राजद को संगठनात्मक तौर पर मजबूत करने के लिए कई बड़े फैसले लिए. 2019 के लोकसभा चुनाव में जब पार्टी को हार का सामना कर रही थी तब जगदा बाबू की नियुक्ति ने संगठन में नई जान फूंक दी थी. उनकी नियुक्ति को लेकर लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव के बीच तनाव के तौर पर भी देखा गया. तेज प्रताप यादव जगदानंद के इन नियुक्तियों से खफा नजर आए. सामाजिक समीकरण यानी राजपूत नेता के जरिए सवर्ण वोटों साधने की कोशिश की गई थी.
2020 के चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनी RJD
2020 के विधानसभा चुनाव में भले ही महागठबंधन बहुमत से 10 सीट पीछे रह गया, लेकिन आरजेडी 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. इसमें जगदानंद सिंह का बड़ा हाथ था. समीकरण बदलते रहे और बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच आरजेडी एक कदम आगामी रणनीति की तरफ बढ़ाती हुई नजर आ रही है.
21 जून और 5 जुलाई को पिक्चर होगी क्लियर
फिलहाल अब सभी की निगाहे 21 जून और 5 जुलाई पर टिकी हुई है, जब राजद के नए नेतृत्व का चेहरा सामने आएगा. 5 जुलाई को ये तय होगा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा? जबकि 21 जून को तय होगा कि प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा?

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