बिहार जातीय गणना के आंकड़े जारी करने वाला पहला राज्य बन गया है. यहां हिदूंओं की आबादी कुल आबादी का 81.99 फीसदी है. वहीं अति पिछड़ा वर्ग की आबादी 36.01 फीसदी, पिछड़े वर्ग की आबादी 27.12 फीसदी, एससी 19.65 फीसदी और एसटी 1.6 फीसदी और मुसहर की आबादी 3 फीसदी है. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले जातीय जनगणना की रिपोर्ट जारी करना सीएम नीतीश का सबसे बड़ा चुनावी दांव माना जा रहा है. इस रिपोर्ट के अनुसार राज्य की कुल आबादी 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 है.
सीएम ने जताई खुशी
वहीं जातीय जनगणना के आंकड़े जारी होने पर सीएम नीतीश कुमार ने खुशी जताते हुए कहा कि बिहार में कराई गई जाति जनगणना के आंकड़े प्रकाशित कर दिए गए हैं. इस कार्य में लगी पूरी टीम को बहुत सारी बधाई. जनगणना के लिए सर्वसम्मति से विधानमंडल में प्रस्ताव पारित किया गया था. बिहार विधानसभा में सभी 9 दलों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से जातीय जनगणना कराएगी. उन्होंने पोस्ट पर लिखा कि इस गणना से न सिर्फ जातियों के बारे में पता चला है बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति की जानकारी मिली है. इसी के आधार पर सभी वर्गों के लिए नीतियां बनाई जाएगी.
अति पिछड़ों की आबादी सर्वाधिक
जातीय जनगणना की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में सबसे ज्यादा आबादी अति पिछड़े की है. रिपोर्ट में चैंकाने वाला खुलासा हुआ है कि सवर्ण काफी कम हो गए हैं. अत्यंत पिछड़ा वर्ग की आबादी 36.01 फीसदी है, जिसकी संख्या 4 करोड़ 70 लाख 80 हजार 514 है. वहीं पिछड़ा वर्ग 27.12 फीसदी है, जिसकी संख्या 3 करोड़ 54 लाख 63 हजार 936 है, जबकि एसटी की कुल आबादी 21 लाख 99 हजार 361 है, जो कुल आबादी के 1.68 फीसदी है. एससी की कुल आबादी 2 करोड़ 56 लाख 89 हजार 820 है. वहीं सवर्णों कुल आबादी 2 करोड़ 2 लाख 91 हजार 679 है. सवर्ण बिहार की कुल आबादी के 15.52 फीसदी है.
बिहार में ये है जातियों की स्थिति
यादव 14.26 फीसदी
मुसलमान- 17.70 फीसदी
भूमिहार- 2.86 फीसदी
ब्राह्मण- 3.65 फीसदी
राजपूत- 3.45 फीसदी
कुशवाहा- 4.21 फीसदी
बनिया- 2.31 फीसदी
मल्लाह- 2.60 फीसदी
कुर्मी- 2.87 फीसदी
कायस्थ- 0.60 फीसदी
मुसहर- 3.08 फीसदी
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