पटना। बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने चुनावी साल में एक बड़ा कदम उठाते हुए राज्य में शिक्षक भर्ती के लिए डोमिसाइल नीति लागू करने का फैसला किया है। इस फैसले को कैबिनेट की मंजूरी भी मिल गई। इसके तहत राज्य के युवाओं को नौकरी पाने में सहूलियत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि, यह नीति बिहार के सभी युवाओं के लिए नहीं है। अब इस फैसले का फायदा किन-किन युवाओं को मिलेगा, इसे लेकर कुछ महत्वपूर्ण बातें सामने आई हैं।
डोमिसाइल नीति क्या है?
बिहार में स्कूली शिक्षकों की नियुक्ति में डोमिसाइल नीति को मंजूरी मिलने के बाद अब यह तय किया गया है कि शिक्षक भर्ती में कुछ आरक्षण श्रेणियां लागू की जाएंगी। शिक्षा विभाग ने इसके लिए एक नई नियमावली तैयार की है, जिसका नाम है ‘बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक (नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्रवाई एवं सेवा शर्त) (संशोधन) नियमावली 2025’। इस नियमावली के तहत 40 फीसदी सीटें उन कैंडिडेट्स के लिए रिजर्व रहेंगी, जिन्होंने बिहार के शैक्षणिक संस्थानों से 10वीं या 12वीं की परीक्षा पास की है।
अन्य राज्यों के विद्यार्थियों को मिलेगा लाभ
यह नीति खासकर उन विद्यार्थियों को फायदा पहुंचाएगी जिन्होंने बिहार के शिक्षण संस्थानों से अपनी 10वीं या 12वीं की परीक्षा पास की है, चाहे वे बिहार के निवासी हों या नहीं। इसका मतलब यह है कि यदि किसी विद्यार्थी ने दूसरे राज्य से शिक्षा ली है, लेकिन उसने बिहार से 10वीं या 12वीं की परीक्षा पास की है, तो उसे इस आरक्षण का लाभ मिलेगा। वहीं, यदि बिहार के किसी विद्यार्थी ने दूसरे राज्य से 10वीं या 12वीं की परीक्षा पास की है, तो उसे इस आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।
आरक्षण दिया जाएगा
इस नीति के तहत शिक्षक भर्ती में कुल 50 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा, जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), अति पिछड़ा वर्ग (EBC), अनुसूचित जाति (SC), और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित हैं। इसके अलावा 10 फीसदी सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए आरक्षित हैं। दिलचस्प बात यह है कि बिहार की महिलाओं के लिए 35 फीसदी सीटें आरक्षित की गई हैं। इसके बाद, बचे हुए 40 फीसदी में से 40 फीसदी सीटें उन विद्यार्थियों के लिए आरक्षित होंगी जिन्होंने बिहार के शैक्षणिक संस्थानों से 10वीं या 12वीं की परीक्षा पास की है।
युवाओं के लिए क्या मायने रखता है?
इस डोमिसाइल नीति का मुख्य उद्देश्य बिहार के स्थानीय युवाओं को अवसर देना है, लेकिन इसमें एक संशोधन है, जो दूसरे राज्य के विद्यार्थियों को भी कुछ हद तक लाभ पहुंचाएगा। यह नीति विशेष रूप से उन विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण है जिन्होंने बिहार से अपनी शिक्षा पूरी की है, क्योंकि वे राज्य में शिक्षक बनने के लिए आरक्षण का लाभ उठा सकते हैं। इस कदम से बिहार सरकार की मंशा है कि राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा दिया जाए और स्थानीय प्रतिभाओं को भी अधिक अवसर मिलें। हालांकि, इसे लेकर कुछ विवाद भी हो सकते हैं, क्योंकि कुछ लोग इसे राज्य के बाहर से आए युवाओं के लिए अनुकूल नहीं मानते हैं।
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