पूर्णिया। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सीमांचल का राजनीतिक माहौल लगातार गरमाया हुआ है। AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष मो. अख्तरुल ईमान की हालिया घोषणा ने इसे और बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी बिहार में थर्ड फ्रंट के रूप में चुनाव लड़ेगी। सीमांचल में AIMIM की राजनीतिक पकड़ को देखते हुए यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। हालांकि महागठबंधन की शुरुआत से ही AIMIM के लिए दरवाजे बंद रहे हैं। दो दिन पहले ओवैसी ने तेजस्वी यादव का बिना नाम लिए कड़ा बयान दिया था जिससे यह स्पष्ट हो गया कि गठबंधन में उनकी कोई संभावना नहीं है।

पप्पू यादव की भूमिका

सीमांचल में अब चर्चा यह है कि कांग्रेस के सहयोगी और पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव AIMIM के संभावित नुकसान को कम करने में कितने सफल होंगे। पप्पू यादव मुस्लिम समुदाय में अच्छी पकड़ रखते हैं और उनकी लोकसभा जीत में भी यही सबसे बड़ा कारण माना जाता है। लेकिन उनकी भूमिका तभी प्रभावी होगी जब वे कांग्रेस और महागठबंधन के साथ मजबूती से खड़े रहें।

राजनीतिक महत्वकांक्षा और कांग्रेस का इश्क

पप्पू यादव लंबे समय से कांग्रेस के प्रति पक्षधर रहे हैं लेकिन उनका राजनीतिक संबंध स्थायी नहीं रहा। समाजवादी पार्टी और राजद के साथ उनके अनुभव भी इसी का उदाहरण हैं। सीट बंटवारे और मुख्यमंत्री पद को लेकर अगर उनकी महत्वकांक्षा पूरी नहीं होती तो वे अलग राह चुन सकते हैं।

सीमांचल में मुस्लिम वोटरों की जद्दोजहद

पप्पू यादव की लोकप्रियता मुस्लिम मतदाताओं में अच्छी है लेकिन ओवैसी की आक्रामक भाषा और संगठन की मजबूती उन्हें चुनौती देती है। वहीं वक्फ बिल एसआईआर और घुसपैठ के मुद्दों ने स्थिति बदल दी है जिससे एनडीए की भी उम्मीदें जगी हैं।