पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों में जुटी कांग्रेस ने एक बड़ा कदम उठाया है। पार्टी ने पूरे राज्य में ऑब्जर्वर (पर्यवेक्षक) भेजने का फैसला किया है, जो दो अहम जिम्मेदारियां निभाएंगे—वोटर लिस्ट पुनरीक्षण में जनता की मदद करना और विधानसभा चुनाव को लेकर ज़मीनी स्थिति का आकलन करना। कांग्रेस की योजना के तहत, देशभर से पार्टी कार्यकर्ताओं और पर्यवेक्षकों को बिहार भेजा गया है। ये सभी ऑब्जर्वर अपने-अपने जिलों में जाकर लोगों से सीधे मुलाकात करेंगे, वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने, सुधार कराने या हटाने जैसी परेशानियों को समझेंगे और जरूरत पड़ने पर स्थानीय अधिकारियों से संपर्क कर उनका समाधान कराने का प्रयास करेंगे।
विशेष ट्रेनिंग और अतिरिक्त जिम्मेदारी
सभी ऑब्जर्वरों को पटना स्थित सदाकत आश्रम में विशेष ट्रेनिंग और मीटिंग के जरिए तैयार किया गया है। यहां उन्हें पूरी प्रक्रिया और कार्यप्रणाली के बारे में विस्तार से बताया गया। ट्रेनिंग के दौरान कांग्रेस ने इन पर्यवेक्षकों को एक अतिरिक्त जिम्मेदारी भी सौंपी है—अपने-अपने जिले में पार्टी की चुनावी गतिविधियों, संगठन की मजबूती, उम्मीदवारों की संभावनाओं और स्थानीय स्तर पर कांग्रेस की स्थिति का आकलन करना। यह रिपोर्ट सीधे पार्टी हाईकमान को सौंपी जाएगी।
संगठन को मजबूती देने की कवायद
कांग्रेस का मानना है कि इस कदम से दोहरा फायदा होगा। एक तरफ जहां आम जनता को वोटर लिस्ट से जुड़ी समस्याओं का समाधान आसानी से मिल सकेगा, वहीं दूसरी ओर पार्टी को जमीनी स्तर पर अपनी ताकत और कमजोरियों का पता चलेगा। इससे चुनावी रणनीति को और प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी।
मतदाताओं से सीधा जुड़ाव बढ़ाएगी
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, यह रणनीति कांग्रेस को न केवल संगठनात्मक रूप से मजबूत करेगी, बल्कि मतदाताओं से सीधा जुड़ाव भी बढ़ाएगी। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस का यह मास्टरप्लान आगामी चुनावी समीकरणों में कितना असर डालता है।
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