अविनाश श्रीवास्तव /रोहतास। जिले की दिनारा विधानसभा सीट पर मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है। यहां चुनावी माहौल दिनों-दिन गर्म होता जा रहा है और सियासी समीकरण लगातार बदलते नजर आ रहे हैं। कुल 14 प्रत्याशियों के मैदान में होने के बावजूद असली जंग तीन उम्मीदवारों के बीच सिमटती दिखाई दे रही है। एक ओर एनडीए गठबंधन से राष्ट्रीय लोक मंच (आरएलएम) के आलोक सिंह चुनावी मैदान में हैं, वहीं महागठबंधन से राजद ने अपने वर्तमान विधायक का टिकट काटकर राजेश यादव पर भरोसा जताया है, लेकिन इन दोनों के बीच निर्दलीय प्रत्याशी और जदयू के बागी नेता सह पूर्व मंत्री जयकुमार सिंह ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।
राजनीतिक किस्मत आजमा रहे
जयकुमार सिंह जो कभी जदयू के कद्दावर चेहरों में गिने जाते थे, अब निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में दिनारा में अपनी राजनीतिक किस्मत आजमा रहे हैं। उनके पक्ष में जुट रही भीड़ और जनसंपर्क सभाओं में उमड़ता जनसैलाब विरोधी खेमों में बेचैनी पैदा कर रहा है।
विचारधारा को नहीं छोड़ा
सोमवार को दिनारा में एक चुनावी सभा के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए जयकुमार सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा नीतीश कुमार मेरे राजनीतिक जीवन के प्रेरणास्रोत हैं। मैंने पार्टी जरूर छोड़ी है, लेकिन उनकी विचारधारा को नहीं छोड़ा। बिहार को सुंदर, समृद्ध और सशक्त बनाने की जो प्रेरणा मुझे उनसे मिली, उसी रास्ते पर चलकर आज जनता का आशीर्वाद प्राप्त कर रहा हूं।
मेरे साथ मजबूती से खड़ा
उन्होंने आगे कहा कि उनके लिए राजनीति का मतलब सिर्फ सत्ता नहीं, बल्कि सेवा है। पूर्व में विधायक रहते हुए मैंने हमेशा सबका साथ, सबका विकास के सिद्धांत पर काम किया। यही वजह है कि आज हर समाज और वर्ग का व्यक्ति मेरे साथ मजबूती से खड़ा है।
परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लिया जाएगा
उनसे जब यह पूछा गया कि निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत के बाद उनका क्या रुख रहेगा तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा मैं नीतीश कुमार के विचारों से प्रेरित हूं। चुनाव के बाद परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लिया जाएगा। लेकिन इतना तय है कि मैं बिहार की तरक्की के रास्ते में किसी तरह की रुकावट नहीं बनने दूंगा।
जदयू या एनडीए खेमे में वापसी कर सकते है
जयकुमार सिंह का यह बयान यह संकेत देता है कि वे भविष्य में फिर से जदयू या एनडीए खेमे में वापसी कर सकते हैं। उनकी सभाओं में उमड़ रही भीड़ और स्थानीय स्तर पर लोकप्रियता को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि दिनारा सीट पर उनका प्रभाव मजबूत है। वहीं एनडीए प्रत्याशी आलोक सिंह और राजद उम्मीदवार राजेश यादव, दोनों ही अपने-अपने संगठन और जातीय समीकरणों के बूते पर मैदान में डटे हैं। लेकिन जयकुमार सिंह के निर्दलीय रूप में उतरने से दोनों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। ग्रामीण इलाकों में जयकुमार सिंह की व्यक्तिगत पकड़ और उनके कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों को लोग आज भी याद करते हैं।
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें

