पटना। बिहार विधानसभा चुनाव का सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहने वाला मुकाबला इस बार राघोपुर विधानसभा सीट पर देखने को मिल रहा है। करीब 3.4 लाख मतदाताओं वाला यह क्षेत्र न सिर्फ एक सीट है, बल्कि बिहार की सत्ता की कुंजी माना जा रहा है।

किस्मत आजमा रहे हैं तेजस्वी

राघोपुर वह ऐतिहासिक सीट है, जहां से पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव (1995) और राबड़ी देवी (2000) विधानसभा पहुंचे थे। अब उनका राजनीतिक वारिस और महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के दावेदार तेजस्वी यादव तीसरी बार यहां से चुनाव मैदान में हैं। तेजस्वी ने नामांकन के दौरान कहा था कि यह सिर्फ एक चुनाव नहीं, बल्कि बिहार को बदलने का मौका है। उन्होंने युवाओं को रोजगार, शिक्षा और सुशासन देने का वादा किया है।

यादव वोट बैंक बना जीत की कुंजी

राघोपुर क्षेत्र में यादव मतदाताओं की संख्या निर्णायक है। अब तक इस सीट पर कोई भी उम्मीदवार यादवों के समर्थन के बिना जीत नहीं पाया है। यही वजह है कि महागठबंधन की पूरी रणनीति यादव वोटों को साधने पर केंद्रित है। वहीं यादव समुदाय भी एक बार फिर राजनीतिक वर्चस्व कायम करने की कोशिश में है, जो नीतीश कुमार के शासनकाल में कमजोर हुआ था।

दोहराना चाहते हैं जीत

भाजपा उम्मीदवार सतीश कुमार, जिन्होंने 2010 में राबड़ी देवी को मात दी थी,अब एक बार फिर तेजस्वी यादव के सामने हैं। सतीश कुमार का आरोप है कि तेजस्वी ने दो बार उपमुख्यमंत्री रहने के बावजूद राघोपुर के विकास पर ध्यान नहीं दिया। वे कहते हैं कि राघोपुर वीआईपी सीट जरूर है, लेकिन जनता को इसका फायदा कभी नहीं मिला। सतीश कुमार इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास कार्यों को अपना मुख्य चुनावी मुद्दा बना रहे हैं।

सीधा मुकाबला तेजस्वी बनाम सतीश

राजनीतिक जानकारों के अनुसार इस बार राघोपुर की जंग तेजस्वी यादव और सतीश कुमार के बीच सीधी है। हालांकि जन सुराज पार्टी के चंचल सिंह सहित अन्य 11 उम्मीदवार भी मैदान में हैं, लेकिन असली टक्कर दो दिग्गजों में सिमटी है। बिहार की राजनीति में राघोपुर की अहमियत हमेशा से रही है और इस बार भी राजनीतिक भविष्य की दिशा यहीं से तय होती नजर आ रही है।