पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की रणभेरी बज चुकी है और अब सीमांचल का इलाका सियासी हलचल का केंद्र बन गया है। पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया, इन चार जिलों की कुल 24 सीटों पर दूसरे चरण में 11 नवंबर को मतदान होना है। लेकिन अब तक न तो एनडीए और न ही महागठबंधन ने अपने उम्मीदवारों की आधिकारिक घोषणा की है। दोनों ही खेमों में टिकट वितरण को लेकर मंथन जारी है और उम्मीदवारों के चयन पर सस्पेंस बना हुआ है।

सीमांचल में बढ़ी सियासी हलचल

चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद सीमांचल के राजनीतिक समीकरण तेजी से बदलते दिख रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्णिया में जनसभा कर चुनावी शंखनाद किया, जबकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कटिहार, पूर्णिया और अररिया में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अररिया में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर भाजपा का जोश बढ़ाया। वहीं एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने भी सीमांचल में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। इन नेताओं के दौरों से स्पष्ट है कि सीमांचल इस बार चुनावी गणित में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

टिकट बंटवारे पर अंदरूनी खींचतान

जानकारी के अनुसार, एनडीए और महागठबंधन के बीच सीमांचल की 24 सीटों का बंटवारा 12-12 सीटों में हुआ है। लेकिन प्रत्याशी चयन को लेकर दोनों ही गठबंधनों में घमासान मचा हुआ है। ज्यादातर सीटों पर पुराने चेहरों को दोबारा मौका मिल सकता है हालांकि कुछ स्थानों पर नए उम्मीदवारों को उतारने की तैयारी भी चल रही है। कुछ सीटों पर नामों में उलटफेर की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है।

पूर्णिया की सात सीटों पर नजरें टिकीं

पूर्णिया जिले की सात विधानसभा सीटों पर 11 नवंबर को मतदान होना है। जिले में कुल 20 लाख 85 हजार से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। मतदाताओं की नजर अब इस बात पर टिकी है कि कौन-सा दल किस उम्मीदवार पर दांव लगाता है। अगले एक-दो दिनों में तस्वीर साफ हो सकती है और उम्मीदवारों की आधिकारिक घोषणा सामने आ जाएगी। सीमांचल के मतदाताओं की दिलचस्पी अब सिर्फ पार्टियों में नहीं बल्कि उन चेहरों में है जो उनके मुद्दों की आवाज बनकर विधानसभा तक पहुंचेंगे।