पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण में मंगलवार को मतदाताओं ने लोकतंत्र के इस पर्व में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। राज्य की 20 जिलों की 122 विधानसभा सीटों पर दोपहर 3 बजे तक 60.40 फीसदी मतदान दर्ज किया गया – जो बिहार के इतिहास में अब तक का सबसे उच्च मतदान प्रतिशत है।

मतदान की रफ्तार तेज हुई

सुबह से ही राज्यभर में मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की लंबी कतारें देखने को मिलीं। सुबह 7 बजे मतदान शुरू होते ही पहले दो घंटे में 14.55% वोटिंग दर्ज की गई थी। इसके बाद मतदान की रफ्तार तेज हुई – सुबह 11 बजे तक यह आंकड़ा बढ़कर 31.38% पहुंच गया, जो वर्ष 2020 के मुकाबले 12.01 प्रतिशत अंक अधिक है। दोपहर 1 बजे तक मतदान 47.62% तक पहुंच गया, जो 2020 के मुकाबले 13.77% ज्यादा है।

मतदान दर्ज किया जा चुका था

दिलचस्प बात यह रही कि दोपहर 1 बजे तक ही चार जिलों में 50% से अधिक मतदान दर्ज किया जा चुका था। इनमें किशनगंज (51.86%), बांका (50.07%), गया (50.95%), और जमुई (50.91%) शामिल हैं। वहीं कैमूर (49.89%), पूर्णिया (49.63%), औरंगाबाद (49.45%) और पश्चिमी चंपारण (48.91%) भी 50% के करीब पहुंच गए।

ऐतिहासिक बढ़ोतरी की

दूसरी ओर, शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में वोटिंग का उत्साह ज्यादा देखा गया। महिला मतदाताओं की भागीदारी इस बार उल्लेखनीय रही। कई जगहों पर महिलाओं की कतारें पुरुषों से लंबी नजर आईं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार महिलाओं और युवाओं की सक्रिय भागीदारी ने मतदान प्रतिशत में ऐतिहासिक बढ़ोतरी की है।

मतदाता मतदान के पात्र हैं

चुनाव आयोग के मुताबिक, इस चरण में कुल 3 करोड़ 70 लाख से अधिक मतदाता मतदान के पात्र हैं, जिनमें 1.95 करोड़ पुरुष और 1.74 करोड़ महिलाएं शामिल हैं। राज्य भर में मतदान के लिए 45,399 मतदान केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें 11 सहायक बूथ भी शामिल हैं। बढ़ते मतदान प्रतिशत ने राजनीतिक दलों में उत्सुकता बढ़ा दी है। सभी गठबंधन अपने-अपने पक्ष में लहर का दावा कर रहे हैं, लेकिन इस बार का भारी मतदान यह साफ संकेत दे रहा है कि बिहार का मतदाता बदलाव और भागीदारी दोनों के मूड में है।