पटना। बिहार सरकार ने राज्यभर की जेलों में बंद कैदियों को डिजिटल साक्षर बनाने के लिए एक बड़ा अभियान शुरू करने का फैसला किया है। इस योजना के तहत सभी जेलों में कंप्यूटर सेट उपलब्ध कराए जाएंगे ताकि कैदियों को कंप्यूटर की बेसिक ट्रेनिंग दी जा सके। गृह विभाग ने पहले चरण में राज्य के आठ केंद्रीय कारा और 33 मंडल जेलों सहित कुल 41 जेलों में कंप्यूटर प्रशिक्षण शुरू करने की योजना बनाई है।

कैदियों को व्यावहारिक कंप्यूटर प्रशिक्षण

इस योजना के अंतर्गत बंदियों को एमएस वर्ड, टैली, पावरपॉइंट जैसे रोजगारपरक सॉफ्टवेयर के व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिए जाएंगे। गृह विभाग ने राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (नाइलेट) के साथ समझौता किया है, जिसके प्रशिक्षित कर्मी जेलों में कैदियों को डिजिटल साक्षरता और कंप्यूटर की व्यवहारिक समझ विकसित करने का प्रशिक्षण देंगे।

रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी का लक्ष्य

डिजिटल साक्षरता से लैस कैदी जेल से रिहा होने के बाद बेहतर रोजगार या स्वरोजगार के अवसरों का लाभ उठा सकेंगे, जिससे वे समाज की मुख्य धारा से जुड़ सकेंगे। यह योजना कैदियों की पुनर्वास प्रक्रिया को मजबूत करने के उद्देश्य से चलाई जा रही है।

कंप्यूटर सेट और संसाधनों की व्यवस्था

पहले चरण में 250 कंप्यूटर सेट, यूपीएस और कंप्यूटर टेबल की खरीद के लिए 2.25 करोड़ रुपए की प्रशासनिक मंजूरी दी गई है। पटना के आदर्श केंद्रीय कारा बेउर को सबसे अधिक 15 कंप्यूटर सेट दिए जाएंगे। इसके अलावा बक्सर, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, भागलपुर और गया के केंद्रीय एवं विशेष कारा को 10-10 कंप्यूटर सेट प्रदान किए जाएंगे, जबकि 33 मंडल काराओं को पांच-पांच कंप्यूटर सेट मिलेंगे।

जेलों में लघु उद्योगों के जरिए कैदियों को रोजगार

जेलों में बंद कैदियों की ऊर्जा का सकारात्मक उपयोग करने के लिए उन्हें विभिन्न लघु उद्योगों से जोड़ा गया है। जेल परिसर में सरसों तेल, मसाला पाउडर, वूडेन डेकोरेटिव आइटम, जूट की बनी वस्तुएं और डिजाइनर ड्रेस आदि बनाए जा रहे हैं। इन्हें ‘मुक्ति’ ब्रांड के नाम से खुले बाजार में बेचा जाता है, जो कैदियों के आत्मनिर्भर बनने में मदद करता है।