पटना। बिहार में भूमि सर्वे का काम एक बार फिर रुकावटों में फंस गया है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने 16 अगस्त से राज्यव्यापी राजस्व महाअभियान की शुरुआत तो कर दी, लेकिन अब यह अभियान ठप हो गया है। वजह है वही सर्वेक्षण कर्मी जिनके कंधों पर काम की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है उन्होंने अनिश्चितकालीन हड़ताल का एलान कर दिया है।

स्थायी नियुक्ति बनी सबसे बड़ी मांग

करीब 13 हजार अमीन, सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी, कानूनगो, लिपिक और अभियंता अपने स्थायीकरण की मांग को लेकर पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पर जुटे हुए हैं। विशेष सर्वेक्षण संविदा कर्मी संघ के बैनर तले चल रहे इस आंदोलन में कर्मियों ने सरकार पर “अस्थिर नौकरी” देने का आरोप लगाया है।

संविदा का दाग हटाया जाए

हमारी नियुक्ति लिखित परीक्षा के बाद हुई थी। मार्च 2025 तक हमारा अनुबंध मान्य है, फिर भी हमें संविदा कर्मी मानकर असुरक्षा में रखा गया है। अब हम उस उम्र में पहुंच चुके हैं जहां नौकरी की स्थिरता और बीमा जैसी सुविधाओं की जरूरत है। हमारी प्राथमिक मांग है स्थायी नियुक्ति मिले और संविदा का दाग हटाया जाए।

पांच सूत्री मांगों को लेकर आंदोलन

संघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष कुमार ने बताया कि बिहार के सभी 38 जिलों में सर्वे कर्मी 16 अगस्त से हड़ताल पर हैं। उन्होंने कहा कि अमीन, कानूनगो, लिपिक और अभियंता सभी मिलकर सत्याग्रह आंदोलन चला रहे हैं। उनकी प्रमुख पांच मांगों में स्थायीकरण, समान वेतनमान, सेवा सुरक्षा और नौकरी से संबंधित अन्य लाभ शामिल हैं।

विभाग की सख्ती और कर्मियों का आरोप

आशीष कुमार ने आरोप लगाया कि राजस्व विभाग हड़ताल पर बैठे कर्मियों को हटाने की धमकी दे रहा है और दफ्तरों में प्रवेश रोक रहा है। हालांकि उन्होंने साफ किया कि यह सरकार का आधिकारिक आदेश नहीं है।

असर : जमीन से जुड़े काम रुके

इस हड़ताल का सीधा असर आम लोगों पर पड़ रहा है। जिन परिवारों के दस्तावेजों का सर्वे अधूरा है, उनकी फाइलें अटक गई हैं। ग्रामीण इलाकों में लोग कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन हड़ताल के चलते काम नहीं हो रहा। राजस्व महाअभियान जिस तेजी से शुरू हुआ था, उतनी ही तेजी से अब रुक भी गया है। सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया है, ऐसे में संघर्ष और लंबा खिंचने की आशंका बढ़ गई है।

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