पटना। बिहार में पिछले 17 वर्षों से लंबित लाइब्रेरियन बहाली को लेकर अभ्यर्थियों का गुस्सा एक बार फिर फूट पड़ा है। शुक्रवार को पटना स्थित जदयू कार्यालय के बाहर ऑल बिहार ट्रेंड लाइब्रेरियन एसोसिएशन के बैनर तले सैकड़ों अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन किया। वे लंबे समय से सरकार से लाइब्रेरियन पात्रता परीक्षा आयोजित करने और नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने की मांग कर रहे हैं। एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष विकास चंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग ने 6500 पदों पर बहाली के लिए नियमावली तो बना दी है लेकिन अब तक पात्रता परीक्षा (Eligibility Test) की तिथि घोषित नहीं की गई। सरकार की टालमटोल नीति के चलते हजारों अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में लटका है।

मुख्यमंत्री से भी पूछा गया सवाल

हाल ही में बख्तियारपुर में लाइब्रेरियन अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बीच रास्ते में रोककर सीधे सवाल किया लाइब्रेरियन की वैकेंसी कब निकलेगी?
मुख्यमंत्री ने पहले ही बहाली की घोषणा की थी लेकिन आधिकारिक नोटिफिकेशन आज तक जारी नहीं हुआ। मौके पर मौजूद अधिकारियों ने अभ्यर्थियों से लिखित आवेदन मांगा और जल्द समाधान का आश्वासन भी दिया।

25 अगस्त को भी सड़क पर उतरे थे अभ्यर्थी

इससे पहले 25 अगस्त को भी पटना की सड़कों पर बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन किया था। लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है जिससे अभ्यर्थियों की नाराजगी और बढ़ गई है।

17 साल से अटकी है बहाली

गौरतलब है कि बिहार में लाइब्रेरियन की अंतिम बहाली वर्ष 2008 में हुई थी। उसके बाद से अब तक कोई भी नई नियुक्ति नहीं हुई। इस लंबे अंतराल में कई अभ्यर्थियों की आयुसीमा समाप्त हो चुकी है जबकि कई को मजबूरी में अन्य नौकरियों या रोजगार की राह पकड़नी पड़ी।

शिक्षा व्यवस्था बेहाल

राज्य के स्कूल कॉलेज और विश्वविद्यालयों में 10 हजार से ज्यादा लाइब्रेरियन पद खाली पड़े हैं।=इनमें प्लस-टू स्कूलों से लेकर उच्च शिक्षा संस्थानों तक के पद शामिल हैं। लाइब्रेरियन की अनुपस्थिति में कई पुस्तकालयों की किताबें धूल फांक रही हैं। कुछ जगहों पर तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी लाइब्रेरी का काम चला रहे हैं।

2020 में बनी नई नियमावली, फिर भी बहाली नहीं

बिहार सरकार ने वर्ष 2020 में नई नियमावली बनाई थी जिसके तहत लाइब्रेरी साइंस में स्नातक (B.Lib) को न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता मानते हुए पात्रता परीक्षा की अनिवार्यता तय की गई थी। लेकिन चार साल बीतने के बावजूद न तो परीक्षा हुई न ही बहाली शुरू हुई।

बढ़ती बेचैनी, सरकार पर गंभीर आरोप

अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार शिक्षा और रोजगार दोनों के प्रति गंभीरता नहीं दिखा रही।शिक्षा विभाग समय पर परीक्षा नहीं करा रहा जबकि प्रदेश में हजारों संस्थान लाइब्रेरियन की कमी से जूझ रहे हैं। इससे न केवल पढ़ाई का स्तर प्रभावित हो रहा है, बल्कि लाइब्रेरी जैसे ज़रूरी संसाधन बेकार हो रहे हैं।

आंदोलन तेज करने की चेतावनी

आंदोलनकारी अभ्यर्थियों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही लाइब्रेरियन पात्रता परीक्षा की तारीख घोषित नहीं की गई तो वे राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ेंगे। उन्होंने कहा कि अब इंतजार नहीं, बल्कि आर-पार की लड़ाई का वक्त है।