कुंदन कुमार/पटना। बिहार के विभिन्न हिस्सों में काम कर रहे मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के बेयरफुट टेक्नीशियन (BFT) ने आज अपनी वेतन वृद्धि की मांग को लेकर पटना के गांधी मैदान स्थित आई एम ए हॉल में जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में करीब 1000 से ज्यादा बीएफटी कर्मी शामिल हुए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
आंदोलन का कारण
कर्मियों का कहना है कि वे पिछले 8 सालों से राज्य में काम कर रहे हैं, लेकिन उनकी मानदेय में महज एक बार 1192 रुपए की वृद्धि की गई है। वर्तमान में इन्हें हर महीने केवल 6000 रुपए मिलते हैं, जो कुशल मजदूरी से काफी कम है। इस वेतन में उनका जीना भी मुश्किल हो रहा है। साथ ही, उनका कहना है कि वे दिन-रात अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए 8 घंटे से ज्यादा काम करते हैं, जबकि सरकार की तरफ से किसी भी तरह का सकारात्मक पहल नहीं की गई है।
क्या कहते हैं कर्मी?
बीएफटी कर्मचारियों का कहना है कि मनरेगा के तहत रोजगार सेवक का मानदेय उनकी तुलना में कहीं अधिक है, जबकि काम की जिम्मेदारी और कार्यदायित्व उनके ऊपर ज्यादा होता है। वे कहते हैं कि राज्य के विभिन्न प्रखंडों में अक्सर मनरेगा टेक्नीशियनों की कमी देखी जाती है, और इसके बावजूद उन्हें उचित मानदेय नहीं दिया जाता।
“हम सरकार के खिलाफ नहीं जा रहे हैं, लेकिन जब हमारी मांगों पर कोई सुनवाई नहीं हो रही, तो अब हमें आंदोलन का सहारा लेना पड़ रहा है, यह कहना था एक बीएफटी कर्मी का।
क्या है सरकार की प्रतिक्रिया?
चुनावी साल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अन्य वर्गों को खुश करने में जुटे हैं, लेकिन यह आंदोलन उनके लिए चुनौती बन गया है। इससे पहले भी अन्य संविदा कर्मियों ने अपने वेतन बढ़ोतरी की मांग को लेकर धरने प्रदर्शन किए थे, लेकिन अब यह आंदोलन और भी तीव्र हो गया है।
आगे की रणनीति
कर्मियों ने यह भी कहा कि अगर उनकी मांगों को लेकर जल्द कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया, तो वे इस आंदोलन को और व्यापक बनाएंगे। उनका कहना है कि जब तक उनकी मानदेय वृद्धि का मामला हल नहीं होगा, तब तक वे शांतिपूर्वक आंदोलन जारी रखेंगे।
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