पटना। बिहार की राजनीति में एक बार फिर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। वीआईपी पार्टी के मुकेश सहनी ने कहा कि शहरी विकास मंत्री जीवेश मिश्रा ने सड़क की बदहाल स्थिति पर सवाल पूछने वाले पत्रकार दिवाकर सहनी की बेरहमी से पिटाई की और अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। इस घटना ने सत्ता और पत्रकारिता के रिश्ते पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पत्रकार दिवाकर सहनी पर हमला
सूत्रों के मुताबिक दिवाकर सहनी ने कदमकुआं इलाके की जर्जर सड़कों पर सवाल उठाया था। इसी को लेकर मंत्री बिफर पड़े और कथित तौर पर उन्होंने पत्रकार को पीटा साथ ही गालियां भी दीं। दिवाकर सहनी फिलहाल घायल हैं और उनका इलाज चल रहा है।
वीआईपी पार्टी ने दिया साथ
घटना की जानकारी मिलते ही वीआईपी पार्टी नेता दिवाकर सहनी से मुलाकात करने पहुंचे और हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया। पार्टी ने कहा कि अन्याय और अत्याचार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वीआईपी नेताओं ने स्पष्ट कहा कि हम अमर शहीद जुब्बा सहनी और वीरांगना फूलन देवी के वंशज हैं और समाज के साथ खड़े रहेंगे।
न्याय दिलाने का वादा
वीआईपी पार्टी ने दिवाकर सहनी और उनके परिवार को आश्वस्त किया है कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा पार्टी चैन से नहीं बैठेगी। नेताओं का कहना है कि पत्रकार की आवाज़ को दबाने का यह प्रयास लोकतंत्र पर हमला है और इसके खिलाफ कड़ा संघर्ष किया जाएगा।
सत्ता के नशे में मंत्री पर गिरेगी गाज
लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। सत्ता के नशे में चूर बिहार के मंत्री जीवेश मिश्रा पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उन्होंने साहसी और निष्पक्ष पत्रकार दिलीप सहनी की रात में बेरहमी से पिटाई की और अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया। यह घटना लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा प्रहार मानी जा रही है।
नेताओं ने साफ किया है कि 2025 में सरकार बदलने के बाद इस प्रकरण को प्राथमिकता के आधार पर लिया जाएगा। पत्रकार पर अत्याचार करने वाले मंत्री जीवेश मिश्रा के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल भेजा जाएगा। साथ ही यह संदेश भी दिया गया है कि पत्रकारों पर हमला लोकतंत्र पर हमला है और इसे किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा। अन्याय और अत्याचार करने वाला चाहे कितना ही बड़ा पदाधिकारी क्यों न हो उसे कड़ी सजा मिलेगी।
राजनीतिक सरगर्मी तेज
इस घटना के सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने भी सत्ता पक्ष पर हमला शुरू कर दिया है। सियासी हलकों में चर्चा है कि अगर मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हुई तो यह विवाद सरकार के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकता है।
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