पटना। बिहार में नई NDA सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऐसा मंत्रिमंडल पेश किया है, जो सामाजिक संतुलन, चुनावी रणनीति और राजनीतिक संदेश-तीनों को साधता नजर आ रहा है। कैबिनेट की संरचना साफ बताती है कि सरकार ने हर प्रमुख जातीय समूह को शामिल कर व्यापक प्रतिनिधित्व दिया है।
ऊपरी जातियों को सशक्त प्रतिनिधित्व
नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में सवर्ण समुदाय से कई अहम नामों को जगह दी गई है। राजपूत समुदाय से लेसी सिंह, श्रेयसी सिंह, संजय सिंह टाइगर और संजय कुमार सिंह शामिल हैं। भूमिहार वर्ग से विजय कुमार सिन्हा और विजय कुमार चौधरी को जगह मिली है। ब्राह्मण समुदाय का प्रतिनिधित्व मंगल पांडेय कर रहे हैं, जबकि कायस्थ से नितिन नवीन कैबिनेट में शामिल हैं। इन नियुक्तियों को NDA द्वारा अपने पारंपरिक वोट बैंक को फिर से मजबूत करने के कदम के रूप में देखा जा रहा है।
OBC-EBC को मिला बड़ा कोटा
नीतीश कुमार लंबे समय से OBC और विशेषकर अति पिछड़ा वर्ग (EBC) को राजनीतिक रूप से सशक्त करने पर जोर देते रहे हैं। इस कैबिनेट में भी उनकी वही नीति साफ दिखाई देती है। कुशवाहा समुदाय से सम्राट चौधरी, सुनील कुमार और दीपक प्रकाश शामिल हुए हैं। यादव समुदाय को रामकृपाल यादव और बिजेंद्र प्रसाद यादव के रूप में प्रतिनिधित्व मिला है।
EBC वर्ग का सबसे व्यापक प्रतिनिधित्व
अति पिछड़ा वर्ग से मदन सहनी, अरुण शंकर प्रसाद, सुरेंद्र मेहता, नारायण प्रसाद और रमा निषाद को कैबिनेट में शामिल किया गया है। EBC को मिला यह बड़ा कोटा सीधे तौर पर 2025 के लोकसभा और आगे विधानसभा चुनावों की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
दलित समुदाय का मजबूत प्रवेश
इस कैबिनेट में दलित नेताओं को उल्लेखनीय जगह दी गई है।
अशोक चौधरी, संतोष कुमार सुमन, लखेंद्र कुमार रोशन और संजय कुमार को मंत्री बनाकर NDA ने सामाजिक न्याय के संदेश को और मजबूती दी है।
मुस्लिम और अन्य वर्गों का प्रतिनिधित्व
कैबिनेट में एकमात्र मुस्लिम चेहरे के रूप में मो. जमा खान शामिल हैं। इसके अलावा कहार समुदाय से डॉ. प्रमोद कुमार को मंत्री बनाकर सामाजिक विविधता का विस्तार किया गया है।
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