बिहार में कुछ ही महीनों बाद विधानसभा चुनाव है. इसी बीच आज बुधवार को मोदी कैबिनेट की बैठक में बिहार को बड़ी सौगात मिली है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बिहार के लिए 19 केन्द्रीय विद्यालय (KVS) स्वीकृत कर दिए हैं. केंद्र सरकार के इस फैसले से राज्य को शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाई मिलेगी.
इन जिलों में खुलेंगे केंद्रीय विद्यालय
ये केंद्रीय विद्यालय सीतामढ़ी, कटिहार, भभुआ, मधुबनी, शेखपुरा, मधेपुरा, पटना, अरवल, पूर्णिया, भोजपुर, मुजफ्फरपुर, मुंगेर, दरभंगा, भागलपुर, नालंदा और गया में खोले जाएंगे. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इन विद्यालयों के खुलने से बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार होगा.
मंत्री नीतीश मिश्रा ने पीएम मोदी को दिया धन्यवाद
बिहार के उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने इस फैसले लिए पीएम मोदी का धन्यवाद दिया है. उन्होंने X पर लिखा, “केन्द्रीय कैबिनेट द्वारा झंझारपुर सहित पूरे बिहार में 19 केन्द्रीय विद्यालय की स्वीकृति का ऐतिहासिक निर्णय…यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केन्द्रीय कैबिनेट ने देशभर में 57 नये केंद्रीय विद्यालयों की स्वीकृति दी है, जिनमें से 19 बिहार में खुलेंगे. मुझे प्रसन्नता है कि मधुबनी जिला में दो केन्द्रीय विद्यालय की स्वीकृति मिली है जिसमे से एक केन्द्रीय विद्यालय झंझारपुर और दूसरा मधुबनी में संचालित होगा.”
बिहार के शिक्षा क्षेत्र में बड़ा सकारात्मक बदलाव होगा
मंत्री नीतीश मिश्रा ने आगे लिखा, “वर्तमान में बिहार में 16 केन्द्रीय विद्यालय संचालित हैं और इन 19 नए केन्द्रीय विद्यालयों की स्वीकृति से अब बिहार के शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा सकारात्मक बदलाव हो सकेगा. यह निर्णय बिहार के शिक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम है जिसका लाभ आने वाली पीढ़ियों को मिलेगा. इस ऐतिहासिक निर्णय हेतु आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का हार्दिक आभार.”
देशभर में 57 नए केंद्रीय विद्यालय खोलने की मंजूरी
गौरतलब है कि मोदी कैबिनेट ने पूरे देश में 57 नए केंद्रीय विद्यालय खोलने के लिए बुधवार को मंजूरी दी है. इससे 86 हजार से अधिक छात्र लाभान्वित होंगे. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इन 57 नए केंद्रीय विद्यालयों में से 7 केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा और शेष राज्य सरकारों द्वारा प्रायोजित किए जाएंगे. इनमें 20 केंद्रीय विद्यालयों को ऐसे जिलों में खोलने का प्रस्ताव है, जहां महत्वपूर्ण संख्या के बावजूद वर्तमान में कोई केंद्रीय विद्यालय नहीं है.

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