पटना. केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने विपक्ष द्वारा मतदाता सूची में हेरफेर के आरोपों को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि एक तो मतदाता सूची में हेरफेर हो जाएगा, हेरफेर हो जाएगा, क्या मतदाता सूची का काम पूरा हो चुका है? ये विपक्ष जो भ्रम फैला रहा है, अभी तो समय बाकी है.
इनके पास कहां से आंकड़े आते हैं ?
चिराग पासवान ने कहा कि कहां से आंकड़े आते हैं इनके पास कि 30 लाख लोगों का नाम काट दिया, 35 लाख लोगों का नाम काट दिया? क्या ये काम, ये प्रक्रिया पूरी हो गई है? हम लोग भी गांव-देहात से जुड़े हैं, हम लोग भी गरीब परिवारों से जुड़े हैं. हमारे बीएलए अपनी पूरी भूमिका निभा रहे हैं. अगर आपका राजनीतिक कार्यकर्ता गांव-देहात से लोगों की मदद करने नहीं जा सकता तो हमारा व्यक्ति तो जा रहा है. हमें तो पता है कि क्या चल रहा है.
चुनाव आयोग पारदर्शिता के साथ काम कर रहा है
चिराग पासवान ने कहा कि चुनाव आयोग पूरी पारदर्शिता के साथ काम कर रहा है. अगर ऐसा नहीं होता तो हम लोग भी सवाल खड़ा करते. कम से कम मैं और मेरी पार्टी तो ऐसा करती है. आप लोग जानते हैं कि मैं और मेरी पार्टी ऐसी है जो कहीं भी अन्याय होने पर, चाहे वह मेरी अपनी सरकार में ही क्यों न हो, उसके खिलाफ खुलकर अपनी बात रखती है. अगर हमें लगता कि इस प्रक्रिया में कहीं कोई दिक्कत हो रही है, तो हम निश्चित रूप से आवाज उठाते.
कानून-व्यवस्था राज्य सरकार के अधीन आता है
केंद्रीय मंत्री ने पीएम मोदी के मोतिहारी दौरे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जब बिहार के लिए सौगात लेकर आ रहे हैं, उनकी प्राथमिकताएं अलग हैं. वे बिहार को एक विकसित राज्य बनाने की सोच के साथ काम कर रहे हैं. जहां तक कानून-व्यवस्था की बात है, यह संघीय ढांचे में स्पष्ट है कि यह विषय पूरी तरह से राज्य सरकार के अधीन आता है. ऐसे में यह कहना कि प्रधानमंत्री को इसकी चिंता नहीं है, उचित नहीं है. हालांकि, यह चिंता हम सबकी भी है.
जंगलराज के दौर वाले हम पर उंगली उठा रहे हैं
पूरे बिहार में हुई घटनाओं को लेकर चिराग पासवान ने कहा कि हाल के दिनों में जिस तरह से अपराध की घटनाएं बढ़ी हैं, एक के बाद एक ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, जिनमें गोलियों की बौछार हो रही है, यह सही है कि बिहार में ऐसी घटनाएं पहले भी हुई हैं. लेकिन जो लोग जंगलराज के दौर में सत्ता में थे, वे आज हम पर उंगली उठा रहे हैं. उनसे पूछा जाना चाहिए कि 1998 में, पीएमसीएच में भी इसी तरह गोलियां चली थीं, उस वक्त के एक मंत्री की हत्या कर दी गई थी. न तो उस समय की घटना को जायज ठहराया जा सकता है, न ही आज की घटनाओं को.
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