बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के युवाओं के हित में एक ऐतिहासिक फैसला लिया है. अब बिहार में होने वाली शिक्षक भर्ती प्रक्रिया (टीआरई-4 और टीआरई-5) में स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता दी जाएगी. यह निर्णय राज्य में पहली बार डोमिसाइल नीति को लागू करने के तहत लिया गया है.
जनता दल (यूनाइटेड) के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य हित में टीआरई-4 और टीआरई-5 योग्यताधारी शिक्षकों की भर्ती की घोषणा की है. इसके साथ ही डोमिसाइल नीति लागू कर उन्होंने बिहार के युवाओं की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा किया है. यह फैसला पूरी तरह से राज्य के विद्यार्थियों, बेरोजगार शिक्षकों और शिक्षा व्यवस्था के हित में है.
नीरज कुमार ने यह भी कहा कि यह निर्णय राज्य के प्रतिभाशाली अभ्यर्थियों को अवसर देने की दिशा में एक बड़ा कदम है. उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, “अब सवाल विपक्ष का है, जो हमेशा नकारात्मक राजनीति करता रहा है. उन्हें बताना चाहिए कि वे बिहार के युवाओं के साथ हैं या बाहरियों के समर्थन में?
नीरज कुमार ने कहा कि राजद यह नजीर पेश करे कि हरियाणा से लाकर करके राज्यसभा आप नामित करते हैं, बिहार के कार्यकर्ता की हकमारी करते हैं. उनको डोमिसाइल का हक दीजिए. सिंगापुर से लाकर चुनावी टिकट दे देते हैं. बिहार की बेटी को टिकट दीजिए जो बिहार में वास करती है.
क्या है डोमिसाइल नीति?
डोमिसाइल नीति के तहत अब शिक्षक भर्ती में बिहार के स्थायी निवास प्रमाणपत्र धारकों को वरीयता दी जाएगी. राज्य सरकार का मानना है कि इससे न केवल स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा, बल्कि बिहार के शैक्षणिक संस्थानों में स्थायित्व और जवाबदेही भी बढ़ेगी.
राजनीतिक हलचल तेज
नीतीश सरकार के इस फैसले के बाद राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है. विपक्षी दलों से इस पर प्रतिक्रिया आनी बाकी है, लेकिन जानकारों का मानना है कि यह फैसला आगामी विधानसभा चुनावों में नीतीश कुमार के लिए राजनीतिक रूप से लाभकारी साबित हो सकता है.
शिक्षक अभ्यर्थियों में खुशी की लहर
सीएम नीतीश के इस फैसले के बाद से राज्य भर में शिक्षक भर्ती की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों में खुशी और उत्साह की लहर है. सोशल मीडिया पर कई युवा इसे ‘बिहार के युवाओं की जीत’ बता रहे हैं.
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