कुंदन कुमार, पटना. बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर मतदाता सूची का नए सिरे से किया गया विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पूरा हो चुका है. बिहार ड्राफ्ट वोटर लिस्ट की कॉपी चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को दे दी है. साथ ही वोटर रोल का ड्राफ्ट इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ECI) की वेबसाइट पर भी अपलोड कर दिया गया है. इसी बीच राजद नेता एवं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आज पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए बड़ा दिया है.

तेजस्वी यादव ने कहा कि ‘मेरा खुद का नाम वोटर लिस्ट में नहीं है.’ उन्होंने कहा कि कहा कि बीएलओ आए थे और हमारा सत्यापन करके गए. फिर भी मतदाता सूची में नाम नहीं है. साइट पर नहीं दिख रहा है. इसका मतलब मेरा नाम काट दिया गया है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसे लेकर एक वीडियो भी दिखाया. जब मीडिया ने पूछा कि आपकी पत्नी का वोटर ID कार्ड बना है तो उन्होंने कहा कि जब मेरा बना ही नहीं तब मेरी पत्नी का कैसे बन जाएगा.

तेजस्वी यादव ने कहा, जब से एसआईआर की प्रक्रिया चल रही थी, तब से ही ट्रांसपरेंसी नहीं रखी गई. बिना किसी राजनीतिक दल को लूप में रखे, इन्होंने एसआईआर करने का निर्णय कर लिया. इसके प्रक्रिया को लेकर के चाहे डॉक्यूमेंट, पलायन, टाइमिंग को लेकर काफी विवाद हुआ और विपक्ष द्वारा इसे लेकर सवाल उठाए गए. हम लोगों की जो मांगें थीं, चुनाव आयोग द्वारा उसपर कोई कार्रवाई नहीं की गई. सुप्रीम कोर्ट के सुझाव की भी अनदेखी चुनाव आयोग द्वारा की गई है. ये लोग बड़े पैमानें पर जो नया वोटर लिस्ट आएगा, उसमें से कई गरीब लोगों के ये नाम काटेंगे। लेकिन चुनाव आयोग कहता रहा कि किसी का नाम नहीं काटा जाएगा.

किया महत्वपूर्ण सवाल

इसके अलावा, तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग से एक महत्वपूर्ण सवाल पूछा है कि क्या आयोग ने उन लोगों की जानकारी दी है जिनका नाम सूची से काटा गया है? क्या चुनाव आयोग ने यह साफ किया है कि कितने लोग मर चुके हैं और कितने लोग अन्य स्थानों पर चले गए हैं? चुनाव आयोग से इन सवालों का जवाब न मिलने पर तेजस्वी ने कहा कि बिहार के लोगों के साथ यह धोखा किया जा रहा है और चुनाव आयोग ने इसे लेकर कोई भी स्पष्टता नहीं दी है.

बिहार में कौन मतदान करेगा

तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली को लेकर एक और गंभीर आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि वर्तमान चुनाव आयोग ने जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात के पक्ष में फैसले लेने की नीति अपनाई है. “मोदी आयोग” के नाम से उन्होंने चुनाव आयोग को आरोपित किया और कहा कि अब गुजराती अधिकारी तय करेंगे कि बिहार में कौन मतदान करेगा और कौन नहीं, जो पूरी तरह से असंवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है.

तेजस्वी ने पूछे 11 सवाल

आखिरकार, तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग से ग्यारह सवाल पूछते हुए उन्हें जवाब देने का आग्रह किया. उनका कहना है कि यह स्थिति लोकतांत्रिक प्रणाली को कमजोर कर रही है और चुनाव आयोग को पूरी पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ काम करना चाहिए.

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