कुंदन कुमार, पटना। दीपावली और छठ पर्व में सरकारी स्कूलों में अवकाश कटौती को लेकर शिक्षक परेशान हैं। सरकारी विद्यालयों में 31 अक्टूबर को दीपावली में मात्र एक दिन की ही छुट्टी दी गई है। बाहरी राज्य के हजारों शिक्षक या दूर दराज क्षेत्र में पोस्टेड वैसे शिक्षक जो अपने घर से ज्यादा दूरी पर पोस्टेड हैं वे अपने घर परिवार के साथ दीपावली नहीं मना पाएंगे। क्योंकि एक दिन में सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय कर आना जाना संभव नहीं है। इस बात से शिक्षकों में मायूसी का माहौल है।

बिहार के सरकारी विद्यालयों में कार्यरत कुल शिक्षकों में 60 फीसदी महिला शिक्षिका हैं। जिनमें से अधिकतर महिला शिक्षका महापर्व छठ खुद से करती हैं। विडम्बना यह है कि शिक्षा विभाग के वर्ष 2024 के अवकाश तालिका में 7, 8 और 9 नवंबर को छठ पर्व की छुट्टी दी गई है। जबकि चार दिवसीय महापर्व छठ की शुरुआत 5 नवंबर नहाय खाय के साथ हो रही है। वहीं 6 नवंबर खरना, 7 को संध्या कालीन अर्घ्य और 8 को सुबह का अर्घ्य होना। नहाय खाय और खरना दोनों तिथियों को सरकारी स्कूल खुले हैं। शिक्षिकाएं इस बात से परेशान हैं कि इस वर्ष कैसे छठ पर्व मना पाएंगे।

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शिक्षक संघ ने की ये मांग

आपको बता दें कि प्रदेश में आजादी के बाद से साल 2023 तक हमेशा दिवाली से छठ तक छुट्टी रहती थी। जबकि इस वर्ष 2024 में पहली बार दीपावली से छठ तक कि लगातार छुट्टी नहीं दी गई है। शिक्षक संघ ने अवकाश तालिका निर्माण में अदूरदर्शिता के कारण ही नहाय खाय और खरना जैसे अवसर पर विद्यालय खुला रखना और छुट्टी नहीं देने को निंदनीय बताया है। उन्होंने शिक्षा विभाग और सरकार से अविलंब अवकाश तालिका में संशोधन कर पूर्व के वर्षों के तरह ही दीपावली से लेकर छठ तक अवकाश की घोषणा करने की मांग की है।

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छुट्टी पर सियासत

वहीं सरकारी स्कूलों में छुट्टियों को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है। राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाकर नीतीश सरकार से सवाल करना शुरू कर दिया है। विवाद बढ़ता देख भारतीय जनता पार्टी ने इसका ठीकरा विपक्ष पर ही फोड़ दिया। बीजेपी ने कहा कि छुट्टियों का यह कैलेंडर महागठबंधन सरकार के दौरान ही बन गया था। उस समय तेजस्वी यादव सत्ता में थे।