पटना। जिले में गुरुवार को पूरे बिहार से आए वित्त रहित शिक्षक और चिकित्सा कर्मचारी अपनी लंबित मांगों को लेकर एकजुट होकर प्रदर्शन करते दिखे। जदयू कार्यालय के बाहर बड़ी संख्या में जुटे इन कर्मियों का कहना है कि वे 28 अगस्त से लगातार विधायक और पार्षदों से मुलाकात कर रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से अब तक केवल मौखिक आश्वासन ही मिला है। पूरे बिहार में इनकी संख्या लगभग 70 हजार है, जो बीते 40 वर्षों से वेतनमान और पेंशन जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।

40 साल से वंचित, अब आंदोलन तेज

गया के टेकारी से आए लोगों ने कहा कि वित्त रहित कर्मियों से सरकार सारा काम लेती है, लेकिन उन्हें वेतनमान नहीं देती। हम 40 साल से वंचित हैं, हमारी लड़ाई अब निर्णायक होगी। जब तक कैबिनेट से पास नहीं होगा, हम पटना की धरती से नहीं हटेंगे।

सरकार से लिखित आश्वासन की मांग

भोजपुर से आए लोगों ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे भूख हड़ताल करेंगे। उन्होंने आगे कहा अगर फिर भी सरकार नहीं मानी, तो सभी कर्मी आत्मदाह करेंगे। हम वित्त रहित वाला वेतन लेकर ही जाएंगे। अन्य लोगों ने कहा कि नीतीश कुमार के विकास यात्रा में कुछ लोग छूट गए हैं। “हमें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री हमारे साथ न्याय करेंगे और वेतनमान लागू करेंगे।

महिलाओं की भी मजबूत भागीदारी

प्रदर्शन में महिलाओं की भी बड़ी संख्या मौजूद रही। सपना ने कहा, “हम वित्त रहित कर्मी हैं। हमें वेतन और पेंशन चाहिए। आज हम हजारों बच्चों को शिक्षा देते हैं, भविष्य बनाते हैं, लेकिन खुद उपेक्षा झेलते हैं। नीतीश कुमार से उम्मीद है कि वे हमारी भी सुनेंगे।”

सरकार पर दबाव बढ़ा

लगातार हो रहे इन प्रदर्शनों से सरकार पर दबाव बढ़ गया है। कर्मियों ने साफ कर दिया है कि लिखित आश्वासन के बिना वे पीछे नहीं हटेंगे। 70 हजार कर्मियों की यह जंग अब सीधी चुनौती बन गई है, और अगर जल्द समाधान नहीं हुआ तो पटना और बिहार की सड़कों पर आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है।

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