कुंदन कुमार/पटना। बिहार में लंबित आपराधिक मामलों के तेजी से निपटारे के लिए राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि इस साल के अंत तक बिहार में 100 फास्ट ट्रैक कोर्ट खोले जाएंगे। इसका उद्देश्य अदालतों में वर्षों से लंबित गंभीर आपराधिक मामलों का शीघ्र निपटारा करना है। राज्य में केवल जून 2025 तक ही हत्या, लूट, डकैती, अपहरण, रेप, दंगा, पोक्सो एक्ट और महिलाओं से जुड़े अपराधों के 1 लाख 75 हजार से अधिक मामले लंबित हैं।

पटना जिले में सबसे ज्यादा

इन नए फास्ट ट्रैक कोर्ट में सबसे अधिक संख्या पटना जिले में होगी। वहीं, उन बड़े जिलों में, जहां सबसे ज्यादा मामले लंबित हैं, जैसे गया, नालंदा, मोतिहारी, बेतिया, छपरा, भागलपुर, सीतामढ़ी और सिवान—चार-चार फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित किए जाएंगे। छोटे जिलों में तीन-तीन और सबसे कम केस वाले जिलों में दो-दो फास्ट ट्रैक कोर्ट खोले जाने का प्रस्ताव है।

एक अहम बैठक हुई थी

इस निर्णय को लेकर हाल ही में राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक (DGP), गृह विभाग के अपर सचिव और उपमुख्यमंत्री की एक अहम बैठक हुई थी। बैठक में अदालतों के बोझ को कम करने और न्याय प्रक्रिया में तेजी लाने पर सहमति बनी। इसके बाद हाईकोर्ट से अनुमति मांगी गई, और स्वीकृति मिलते ही साल के भीतर ये सभी कोर्ट चालू हो जाएंगे।

कोर्ट बंद कर दिए गए थे

गौरतलब है कि 2011 तक बिहार में पहले भी फास्ट ट्रैक कोर्ट कार्यरत थे। तब इन कोर्ट का खर्च केंद्र और राज्य सरकार मिलकर उठाते थे, जिसमें केंद्र का हिस्सा 60% और राज्य का 40% होता था। लेकिन केंद्र सरकार द्वारा सहयोग बंद करने के बाद ये कोर्ट बंद कर दिए गए थे। अब राज्य सरकार ने स्वयं के संसाधनों से इन कोर्ट को पुनः शुरू करने की योजना बनाई है। इन फास्ट ट्रैक कोर्ट के शुरू होने से न्यायिक प्रक्रिया को गति मिलेगी और पीड़ितों को समय पर न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ेगी।